"गीता 1:28-29" के अवतरणों में अंतर
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− | '''दृष्ट्वेमं स्वजनं | + | '''दृष्ट्वेमं स्वजनं कृष्णं युयुत्सुं समुपस्थितम् ।।28।।'''<br /> |
'''सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति ।'''<br /> | '''सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति ।'''<br /> | ||
'''वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते ।।29।।''' | '''वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते ।।29।।''' | ||
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− | '''अर्जुन बोले''' | + | '''<balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। |
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> बोले''' | ||
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− | हे कृष्ण ! युद्ध क्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इस स्वजन समुदाय को देखकर मेरे अंग शिथिल हुए जा रहे हैं और मुख सूखा जा रहा है तथा मेरे शरीर में | + | हे <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। |
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">कृष्ण</balloon> ! युद्ध क्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इस स्वजन समुदाय को देखकर मेरे अंग शिथिल हुए जा रहे हैं और मुख सूखा जा रहा है तथा मेरे शरीर में कम्पन एवं रोमांच हो रहा है ।।28वें का उत्तरार्ध और 29।। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | ''' | + | '''Arjuna said :''' |
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− | + | Krishna, at the sight of these kinsmen arrayed for battle my limbs give way, and my mouth is parching, nay, a shiver runs through my body and hair stand upright. (2nd half of 28 and 29) | |
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− | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 1:27|<= पीछे Prev]] | [[गीता 1:30|आगे Next =>]]'''</div> | + | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 1:27|<= पीछे Prev]] | [[गीता 1:30|आगे Next =>]]'''</div> |
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१२:३२, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-28,29 / Gita Chapter-1 Verse-28,29
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