"किष्किन्धा काण्ड वा॰ रा॰" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - '==टीका-टिप्पणी==' to '==टीका टिप्पणी और संदर्भ==')
 
(२ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के २ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{Menu}}<br />
+
{{Menu}}
 
==किष्किन्धा काण्ड / Kishkindha Kand==
 
==किष्किन्धा काण्ड / Kishkindha Kand==
 
इस काण्ड में पम्पासरोवर पर स्थित [[राम]] से [[हनुमान]]जी का मिलन, [[सुग्रीव]] से मित्रता, सुग्रीव द्वारा [[बालि]] का वृत्तान्त-कथन, [[सीता]] की खोज के लिए सुग्रीव की प्रतिज्ञा, वालि-सुग्रीव युद्ध, राम के द्वारा वालि का वध, सुग्रीव का राज्याभिषेक तथा वालिपुत्र [[अंगद]] को युवराज पद, वर्षा ॠतु वर्णन, शरद ॠतु वर्णन, सुग्रीव तथा हनुमान जी के द्वारा वानरसेना का संगठन, सीतान्वेषण हेतु चारों दिशाओं में वानरों का गमन, हनुमान का [[लंका]]-गमन, सम्पाति-वृत्तान्त, [[जाम्बवन्त]] का हनुमान को समुद्र-लंघन हेतु प्रेरित करना तथा हनुमानजी का महेन्द्र पर्वत पर आरोहण आदि विषयों का प्रतिपादन किया गया है। किष्किन्धाकाण्ड में 67 सर्ग तथा 2,455 श्लोक हैं। धार्मिक दृष्टि से इस काण्ड का पाठ मित्रलाभ तथा नष्टद्रव्य की खोज हेतु करना उचित है।<ref>मित्रलाभे तथा नष्टद्रव्यस्य च गवेषणे।<br />
 
इस काण्ड में पम्पासरोवर पर स्थित [[राम]] से [[हनुमान]]जी का मिलन, [[सुग्रीव]] से मित्रता, सुग्रीव द्वारा [[बालि]] का वृत्तान्त-कथन, [[सीता]] की खोज के लिए सुग्रीव की प्रतिज्ञा, वालि-सुग्रीव युद्ध, राम के द्वारा वालि का वध, सुग्रीव का राज्याभिषेक तथा वालिपुत्र [[अंगद]] को युवराज पद, वर्षा ॠतु वर्णन, शरद ॠतु वर्णन, सुग्रीव तथा हनुमान जी के द्वारा वानरसेना का संगठन, सीतान्वेषण हेतु चारों दिशाओं में वानरों का गमन, हनुमान का [[लंका]]-गमन, सम्पाति-वृत्तान्त, [[जाम्बवन्त]] का हनुमान को समुद्र-लंघन हेतु प्रेरित करना तथा हनुमानजी का महेन्द्र पर्वत पर आरोहण आदि विषयों का प्रतिपादन किया गया है। किष्किन्धाकाण्ड में 67 सर्ग तथा 2,455 श्लोक हैं। धार्मिक दृष्टि से इस काण्ड का पाठ मित्रलाभ तथा नष्टद्रव्य की खोज हेतु करना उचित है।<ref>मित्रलाभे तथा नष्टद्रव्यस्य च गवेषणे।<br />
पंक्ति ६: पंक्ति ६:
 
[[Category:कोश]]
 
[[Category:कोश]]
 
[[Category:रामायण]]
 
[[Category:रामायण]]
==टीका-टिप्पणी==
+
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
__INDEX__
 
__INDEX__

०७:१२, २९ अगस्त २०१० के समय का अवतरण

किष्किन्धा काण्ड / Kishkindha Kand

इस काण्ड में पम्पासरोवर पर स्थित राम से हनुमानजी का मिलन, सुग्रीव से मित्रता, सुग्रीव द्वारा बालि का वृत्तान्त-कथन, सीता की खोज के लिए सुग्रीव की प्रतिज्ञा, वालि-सुग्रीव युद्ध, राम के द्वारा वालि का वध, सुग्रीव का राज्याभिषेक तथा वालिपुत्र अंगद को युवराज पद, वर्षा ॠतु वर्णन, शरद ॠतु वर्णन, सुग्रीव तथा हनुमान जी के द्वारा वानरसेना का संगठन, सीतान्वेषण हेतु चारों दिशाओं में वानरों का गमन, हनुमान का लंका-गमन, सम्पाति-वृत्तान्त, जाम्बवन्त का हनुमान को समुद्र-लंघन हेतु प्रेरित करना तथा हनुमानजी का महेन्द्र पर्वत पर आरोहण आदि विषयों का प्रतिपादन किया गया है। किष्किन्धाकाण्ड में 67 सर्ग तथा 2,455 श्लोक हैं। धार्मिक दृष्टि से इस काण्ड का पाठ मित्रलाभ तथा नष्टद्रव्य की खोज हेतु करना उचित है।[१]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मित्रलाभे तथा नष्टद्रव्यस्य च गवेषणे।
    श्रुत्वा पठित्वा कैष्किन्ध्यं काण्डं तत्तत्फलं लभेत्॥(बृहद्धर्मपुराण-पूर्वखण्ड 36…12)