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१२:५४, ७ अक्टूबर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-1 श्लोक-10 / Gita Chapter-1 Verse-10

प्रसंग-


इस प्रकार भीष्म द्वारा संरक्षित अपनी सेना को अजेय बताकर, अब दुर्योधन सब ओर से भीष्म की रक्षा करने के लिये द्रोणाचार्य आदि समस्त महारथियों से अनुरोध करते हैं-


अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम् ।
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् ।।10।।



भीष्म पितामह द्वारा रक्षित हमारी वह सेना सब प्रकार से अजेय है और भीम द्वारा रक्षित इन लोगों की यह सेना जीतने में सुगम है ।।10।।

This army of ours, fully protected by bhisma, is unconquerable; while that army of theirs, guarded in every way by bhima, is easy to conquer.


भीष्माभिरक्षित् = भीष्मपितामह द्वारा रक्षित; आस्माकम् = हमारी; तत् = वह; बलम् = सेना; अपार्याप्तम् = सब प्रकार से अजेय है; तु = और; भीमाभिरक्षितम् = भीम द्वारा रक्षित; एतेषाम् = इन लोगों की;इदम् = यह; बलम् = सेना; पर्याप्तम् = जीतने में सुगम है;

अध्याय एक श्लोक संख्या
Verses- Chapter-1

1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47

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