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०८:०८, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-12 श्लोक-7 / Gita Chapter-12 Verse-7


तेषामहं समुद्धर्ता मृत्युसंसारसागरात् ।
भवामि नचिरात्पार्थ मय्यावेशितचेतसाम् ।।7।।



हे अर्जुन ! उन मुझ में चित्त लगाने वाले प्रेमी भक्तों का मैं शीघ्र ही मृत्यु रूप संसार-समुद्र से उद्वार करने वाला होता हूँ ।।7।।

These, arjuna, I speedily deliver from the ocean of birth and death, their mind being fixed on me. (7)


पार्थ = हे अर्जुन; तेषाम् = उन; मयि = मेरेमें; आवेशितचेतसाम् = चित्त को लगानेवाले प्रेमीभक्तों का; अहम् = मैं; नचिरात् = शीघ्र ही; मृत्युसंसारसागरात् = मृत्युरूप संसारसमुद्रसे; समुद्धर्ता = उद्धार करनेवाला; भवामि = होता हूं



अध्याय बारह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-12

1 | 2 | 3,4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13, 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20

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