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[[ब्रज]] में श्रावण–भादों के दिनों मन्दिरों में झूलों की धूम रहती है । [[रासलीला|रासलीलाओं]] के विराट आयोजन होते हैं, जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन को आते हैं । [[द्वारिकाधीश मन्दिर|द्वारकाधीश के मन्दिर]] में घटायें सजती हैं । [[बांके बिहारी मन्दिर|श्रीबिहारी जी के मन्दिर]] में केवल [[हरियाली तीज]] को झूला पड़ता है, जहां भारी भीड़ होती है । मन्दिरों के अलावा पूरे [[ब्रज]] के गांव–गांव, गली–गली में झूले पड़ते हैं और मल्हारों गायन के साथ ब्रज बालिकायें झूला झूलती हैं । | [[ब्रज]] में श्रावण–भादों के दिनों मन्दिरों में झूलों की धूम रहती है । [[रासलीला|रासलीलाओं]] के विराट आयोजन होते हैं, जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन को आते हैं । [[द्वारिकाधीश मन्दिर|द्वारकाधीश के मन्दिर]] में घटायें सजती हैं । [[बांके बिहारी मन्दिर|श्रीबिहारी जी के मन्दिर]] में केवल [[हरियाली तीज]] को झूला पड़ता है, जहां भारी भीड़ होती है । मन्दिरों के अलावा पूरे [[ब्रज]] के गांव–गांव, गली–गली में झूले पड़ते हैं और मल्हारों गायन के साथ ब्रज बालिकायें झूला झूलती हैं । | ||
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०६:४१, ८ दिसम्बर २००९ का अवतरण
झूले / Jhule
ब्रज में श्रावण–भादों के दिनों मन्दिरों में झूलों की धूम रहती है । रासलीलाओं के विराट आयोजन होते हैं, जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन को आते हैं । द्वारकाधीश के मन्दिर में घटायें सजती हैं । श्रीबिहारी जी के मन्दिर में केवल हरियाली तीज को झूला पड़ता है, जहां भारी भीड़ होती है । मन्दिरों के अलावा पूरे ब्रज के गांव–गांव, गली–गली में झूले पड़ते हैं और मल्हारों गायन के साथ ब्रज बालिकायें झूला झूलती हैं ।
--जन्मेजय 06:41, 8 दिसम्बर 2009 (UTC)