"गीता 11:35" के अवतरणों में अंतर
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− | ==गीता अध्याय-11 श्लोक- | + | ==गीता अध्याय-11 श्लोक-35 / Gita Chapter-11 Verse-35== |
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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− | + | इस प्रकार भगवान् के मुख से सब बातें सुनने के बाद [[अर्जुन]] की कैसी परिस्थिति हुई और उन्होंने क्या किया- इस जिज्ञासा पर [[संजय]] कहते हैं- | |
− | ''' | + | '''सञ्जय उवाच''' |
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<div align="center"> | <div align="center"> | ||
− | ''' | + | '''एतच्छुत्वा वचनं कृताञ्जलिर्वेपमान: किरीटी ।'''<br/> |
− | ''' | + | '''नमस्कृत्वा भूय एवाह कृष्णं सगद्गदं भीतभीत: प्रणम्य ।।35।।''' |
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− | ''' | + | '''संजय बोले-''' |
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− | + | केशव भगवान् के इस वचन को सुनकर मुकुटधारी [[अर्जुन]] हाथ जोड़कर काँपता हुआ नमस्कार करके, फिर भी अत्यन्त भयभीत होकर प्रणाम करके भगवान् श्रीकृष्ण के प्रति गद्गद वाणी से बोला- ।।35।। | |
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− | ''' | + | '''Sanjaya said-''' |
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− | + | Hearing these words of Bhagavan kesava, arjuna tremblingly bowed to him with joined palms, and bowing again in extreme terror spoke to sri krsna in faltering accents. (35) | |
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− | + | केशवस्य = केशव भगवान् के; एतत् = इस; वचनम् = वचनको; श्रृत्वा = सुनकर; किरीटी = मुकुटधारी अर्जुन; कृताज्जलि: = नमस्कार करके; भूय: = फिर; एव = भी; प्रणम्य = प्रणाम करके; कृष्णम् = भगवान् श्रीकृष्णके प्रति; सगद्रदम् = गद्रद वाणी से; आह = बोला | |
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१२:५९, १२ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-35 / Gita Chapter-11 Verse-35
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अध्याय ग्यारह श्लोक संख्या Verses- Chapter-11 |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10, 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26, 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41, 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 |
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