"गीता 11:52" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> <table class="gita" width="100%" align="left"> <tr> <td> ==गीता अध्याय-11 श्लोक-52 / Gita Chapter-11 Verse-52== {| width="80...)
 
पंक्ति १४: पंक्ति १४:
 
----
 
----
 
<div align="center">
 
<div align="center">
'''सुदुर्दर्शमिदं रूपं दुष्टवानसि यन्मम ।'''
+
'''सुदुर्दर्शमिदं रूपं दुष्टवानसि यन्मम ।'''<br/>
 
'''देवा अप्यस्य रूपस्य नित्यं दर्शनकाङ्क्षिण: ।।52।।'''
 
'''देवा अप्यस्य रूपस्य नित्यं दर्शनकाङ्क्षिण: ।।52।।'''
 
</div>
 
</div>

१६:२८, १२ अक्टूबर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-11 श्लोक-52 / Gita Chapter-11 Verse-52

प्रसंग-


इस प्रकार अर्जुन के वचन सुनकर अब भगवान् दो श्लोकों द्वारा अपने चतुर्भुज देवरूप के दर्शन की दुर्लभता और उसकी महिमा का वर्णन करते हैं-

श्रीभगवानुवाच


सुदुर्दर्शमिदं रूपं दुष्टवानसि यन्मम ।
देवा अप्यस्य रूपस्य नित्यं दर्शनकाङ्क्षिण: ।।52।।



श्रीभगवान् बोले-


मेरा जो चतुर्भुज रूप तुमने देखा है, यह सुदुर्दर्श है अर्थात् इसके दर्शन बड़े ही दुर्लभ हैं । देवता भी सदा इस रूप के दर्शन की आकाड्क्षा करते रहते हैं ।।52।।

Shri Bhagavan said-


This form of mine (with four arms) which you have just seen is exceedingly difficult to perceive. Even the gods are always eager to behold this form. (52)


इदम् = यह; रूपम् = (चतुर्भुज) रूप; सुदुर्दर्शम् = देखने को अति दुर्लभ है (कि); यत् = जिसको(तुमने); दृष्टवानसि = देखा है; (यतJ = क्योंकि; अपि = भी; नित्यम् = सदा; दर्शनकाडिण: = दर्शन करने की इच्छावाले हैं;


<= पीछे Prev | आगे Next =>


अध्याय ग्यारह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-11

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10, 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26, 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41, 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar>