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०५:२४, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-3 श्लोक-43 / Gita Chapter-3 Verse-43
एवं बुद्धे परं बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना ।
जहि शत्रुं महाबाहो कामरूपं दुरासदम् ।।43।।
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इस प्रकार बुद्धि से परे अर्थात् सूक्ष्म, बलवान् और अत्यन्त श्रेष्ठ आत्मा को जानकर और बुद्धि के द्वारा मन को वश में करे हे महाबाहो ! तू इस कामरूप दुर्जय शत्रु को मार डाल ।।43।।
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Thus, arjuna, knowing that which is higher than the intellect and subduing the mind by reason, kill this enemy in the form of Desire that is hard to overcome. (43)
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एवम् = इस प्रकार; परम् =परे अर्थात सूक्ष्म तथा सब प्रकार बलवान् और श्रेष्ठ अपने आत्मा को; बुद्ध्वा = जानकर (और); आत्मना = बुद्वि के द्वारा; आत्मानम् =मनको; संस्तभ्य = वश में करके; महाबबो = हे महाबाहो (अपनी शक्ति से समझकर इस); दुरासदम् = दुर्जय; कामरूपम् = कामरूप; शत्रुम् = शत्रु को; जहि = मार
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