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०७:३९, २२ नवम्बर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-9 / Gita Chapter-11 Verse-9
प्रसंग-
अर्जुन को दिव्य दृष्टि देकर भगवान् ने जिस प्रकार का अपना दिव्य विराट् स्वरूप दिखलाया था, अब पाँच श्लोकों द्वारा संजय उसका वर्णन करते हैं-
सञ्जय उवाच-
एवमुक्त्वा ततो राजन्महायोगेश्वरो हरि: ।
दर्शयामास पार्थाय परमं रूपमैश्वरम् ।।9।।
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संजय बोले-
हे राजन् ! महायोगेश्वर और सब पापों के नाश करने वाले भगवान् ने इस प्रकार कहकर उसके पश्चात अर्जुन को परम ऐश्वर्य युक्त दिव्य स्वरूप दिखलाया ।।9।।
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Sanjaya said-
My lord ! having spoken thus, Sri Krishna, the supreme master of yoga, forthwith revealed to Arjuna His supremely glorious divine form. (9)
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हरि: = सब पापों के नाश करनेवाले भगवान् ने; एवम् = इस प्रकार; उक्त्वा =कहकर; पार्थाय = अर्जुन के लिये; परमम् = परम; ऐश्वर्ययुक्त; रूपम् = दिव्य स्वरूप; दर्शयोमास = दिखाया
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