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− | हे <balloon title="यहां यह सम्बोधन भी भगवान् कृष्ण का ही है।" style="color:green">महाबाहो</balloon> ! आपके बहुत मुख और नेत्रों वाले, बहुत हाथ, जंघा और पैरों वाले, बहुत उदरों वाले और बहुत-सी दाढ़ों के कारण अत्यन्त विकराल महान् रूप को देखकर सब लोग व्याकुल हो रहे हैं तथा मैं भी व्याकुल हो रहा हूँ ।।23।। | + | हे <balloon title="यहां यह सम्बोधन भी भगवान् कृष्ण का ही है।" style="color:green">महाबाहो</balloon> ! आपके बहुत मुख और नेत्रों वाले, बहुत हाथ, जंघा और पैरों वाले, बहुत उदरों वाले और बहुत-सी दाढ़ों के कारण अत्यन्त विकराल महान रूप को देखकर सब लोग व्याकुल हो रहे हैं तथा मैं भी व्याकुल हो रहा हूँ ।।23।। |
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०३:२७, १८ जनवरी २०१० का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-23 / Gita Chapter-11 Verse-23
रूपं महत्ते बहुवक्त्रनेत्रं
महाबाहो बहुबाहूरूपादम् ।
बहूदरं बहुदंष्द्राकरालं
दृष्ट्वा लोका: प्रव्यथितास्तथाहम् ।।23।।
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हे <balloon title="यहां यह सम्बोधन भी भगवान् कृष्ण का ही है।" style="color:green">महाबाहो</balloon> ! आपके बहुत मुख और नेत्रों वाले, बहुत हाथ, जंघा और पैरों वाले, बहुत उदरों वाले और बहुत-सी दाढ़ों के कारण अत्यन्त विकराल महान रूप को देखकर सब लोग व्याकुल हो रहे हैं तथा मैं भी व्याकुल हो रहा हूँ ।।23।।
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O mighty-armed one, seeing this stupendous and dredful form of yours possessing numberous mouths and eyes, many arms, thights and feet, many bellies and many teeth, the worlds are terrorstuck; so am I . (23)
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ते = आपके; बहुवक्त्रनेत्रम् = बहुत मुख और नेत्रोंवाले =(तथा); बहुबाहूरूपादम् = बहुत हाथ जंघा और पैरोंवाले(और); बहुदरम् = बहुत उदरोंवाले(तथा); बहुदंष्ट्राकरालम् = बहुतसी विकराल जाड़ोंवाले; दृष्टा = देखकर; लोका: सब लोक; प्रव्यथिता: = व्याकुल हो रहे हैं; अहम् = मैं; (अपि) = भी(व्याकुल हो रहा हूं
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