"lab:Renu1" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
(नया पन्ना: {{पात्र परिचय |अन्य नाम=कृष्णा, पांचाली |अवतार=शची (इन्द्राणी) का अं…)
 
पंक्ति १२: पंक्ति १२:
 
|प्रसिद्ध घटनाएँ=*दुशासन ने द्रौपदी को केश पकड़कर खींचा था। उसके बाद द्रौपदी ने अपने केश सदैव खुले रखे, और उसके केश ही महाभारत का कारण बने।<br /> *अपने पाँचों पुत्रों की हत्या करने वाले अश्वथामा को क्षमा दान।<br /> *द्रौपदी बाल्यावस्था से ही कृष्ण से विवाह करना चाहती थी किन्तु इनका विवाह अर्जुन से हुआ था।
 
|प्रसिद्ध घटनाएँ=*दुशासन ने द्रौपदी को केश पकड़कर खींचा था। उसके बाद द्रौपदी ने अपने केश सदैव खुले रखे, और उसके केश ही महाभारत का कारण बने।<br /> *अपने पाँचों पुत्रों की हत्या करने वाले अश्वथामा को क्षमा दान।<br /> *द्रौपदी बाल्यावस्था से ही कृष्ण से विवाह करना चाहती थी किन्तु इनका विवाह अर्जुन से हुआ था।
 
|मृत्यु=स्वर्ग जाते समय द्रौपदी की मृत्यु मार्ग में सबसे पहले हुई।
 
|मृत्यु=स्वर्ग जाते समय द्रौपदी की मृत्यु मार्ग में सबसे पहले हुई।
 +
|यशकीर्ति=द्रौपदी ने अश्वत्थामा को क्षमा किया
 +
|अपकीर्ति=द्रौपदी अपने पाँचों पतियों में से सबसे अधिक प्रेम अर्जुन से करती थीं इसलिए वह सशरीर स्वर्ग ना जा सकी।
 
|संबंधित लेख=महाभारत
 
|संबंधित लेख=महाभारत
 
}}
 
}}

०७:३२, २४ फ़रवरी २०१० का अवतरण

संक्षिप्त परिचय
Renu1
[[चित्र:|140px|center]]
अन्य नाम कृष्णा, पांचाली
अवतार शची (इन्द्राणी) का अंशावतार
पिता द्रुपद
जन्म विवरण द्रौपद ने द्रोणाचार्य से प्रतिशोध लेने के लिए यज्ञ किया था और उस यज्ञ से उन्हें पुत्र धृष्टद्युम्न और पुत्री कृष्णा की प्राप्ति हुई।
समय-काल महाभारत काल
परिजन भाई धृष्टद्युम्न, पिता द्रुपद
विवाह द्रौपदी का विवाह पाँचों पाण्डव से हुआ था। जिनके नाम इस प्रकार है- युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव
संतान द्रौपदी को युवराज युधिष्ठिर से प्रतिविन्ध्य, भीमसेन से सुतसोम, अर्जुन से श्रुतकीर्ति, नकुल से शतानीक और सहदेव से श्रुतवर्मा।
महाजनपद पांचाल की राजकुमारी और हस्तिनापुर की रानी
संदर्भ ग्रंथ महाभारत
प्रसिद्ध घटनाएँ *दुशासन ने द्रौपदी को केश पकड़कर खींचा था। उसके बाद द्रौपदी ने अपने केश सदैव खुले रखे, और उसके केश ही महाभारत का कारण बने।
*अपने पाँचों पुत्रों की हत्या करने वाले अश्वथामा को क्षमा दान।
*द्रौपदी बाल्यावस्था से ही कृष्ण से विवाह करना चाहती थी किन्तु इनका विवाह अर्जुन से हुआ था।
मृत्यु स्वर्ग जाते समय द्रौपदी की मृत्यु मार्ग में सबसे पहले हुई।
यशकीर्ति द्रौपदी ने अश्वत्थामा को क्षमा किया
अपकीर्ति द्रौपदी अपने पाँचों पतियों में से सबसे अधिक प्रेम अर्जुन से करती थीं इसलिए वह सशरीर स्वर्ग ना जा सकी।
संबंधित लेख महाभारत