ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
|
|
पंक्ति ५९: |
पंक्ति ५९: |
| <tr> | | <tr> |
| <td> | | <td> |
− | {{महाभारत}} | + | {{गीता2}} |
| </td> | | </td> |
| </tr> | | </tr> |
| <tr> | | <tr> |
| <td> | | <td> |
− | {{गीता2}} | + | {{महाभारत}} |
| </td> | | </td> |
| </tr> | | </tr> |
१२:४०, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-5 श्लोक-22 / Gita Chapter-5 Verse-22
प्रसंग-
विषय भोगों को काम-क्रोधादि के निमित्त से दुख के हेतु बतलाकर अब मनुष्य शरीर का महत्व दिखलाते हुए भगवान् काम-क्रोधादि दुर्जय शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर लेने वाले पुरुष की प्रशंसा करते हैं-
ये हि संस्पर्शजा भोगा दु:खयोनय एव ते ।
आद्यन्तवन्त: कौन्तेय न तेषु रमते बुध: ।।22।।
|
जो ये इन्द्रिय तथा विषयों के संयोग से उत्पन्न होने वाले सब भोग हैं, वे यद्यपि विषयी पुरुषों को सुख रूप भासते हैं तो भी दु:ख के ही हेतु हैं और आदि अन्त वाले अर्थात् अनित्य हैं । इसलिये हे <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! बुद्धिमान् विवेकी पुरुष उनमें नहीं रमता ।।22।।
|
The pleasures which are born of sense-contacts are verily a source of suffering only (though appearing as enjoyable to worldly-minded pepole). They have a beginning and an end(they come and go). Arjuna, it is for this reason that a wise man does not indulge in them. (22)
|
संस्पर्शजा: = इन्द्रिय तथा विषयों के संयोग से उत्पन्न होने वाले; भोगा: = सब भोग हैं: ते = वे (यद्यपि विषयी पुरुषों को सुख रूप भासते हैं तोभी); हि =नि:सन्देह; दु;खयोनय: = दु:ख के ही हेतु हैं (और); आद्यन्तवन्त: = आदि अन्त वाले अर्थात् अनित्य हैं (इसलिये); कौन्तेय = हे अर्जुन: बुध: = बुद्विमान् विवेकी पुरुष; तेषु = उनमें; न = नहीं; रमते = रमता
|
|
|
|
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- गीता अध्याय-Gita Chapters
- गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
- गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
- गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
- गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
- गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
- गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
- गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
- गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
- गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
- गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
- गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
- गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
- गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
- गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
- गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
- गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
- गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
- गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter
</sidebar>
|
|
महाभारत |
---|
| महाभारत संदर्भ | | | | महाभारत के पर्व | |
|
|