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[[मथुरा]] में [[विश्राम घाट]] के आगे [[सतीबुर्ज]] के निकट चर्चिका देवी का प्राचीन मन्दिर है । वर्ष में कई बार सवा मन प्रसाद का भोग लगता है, और इसे फूलों व नाना प्रकार से सुसज्जित करते हैं । इसके निकट [[दशावतार का प्रसिद्ध मन्दिर]] भी है । [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार चर्चिका देवी का प्रादुर्भाव [[शिव]] के तीसरे नेत्र से हुआ । सैनी नदी के किनारे सर्वप्रथम राजाधिराज ने देवी उपासना की, जिससे राजतंत्र का प्रारम्भ देवताओं चयन से हुआ जिसकी पूजा–अर्चना देव भी करते थे । इस देवी का इतिहास चमत्कारिक घटनाओं से परिपूर्ण है । चर्चिका देवी का मन्दिर वही है जिसकी [[हर्षवर्धन]] और इन्द्रद्युम्न ने पूजा–अर्चना की थी । धार्मिक ग्रन्थों में चर्चिका को श्मशानवासिनी बताया गया है ।
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०६:०७, ६ सितम्बर २००९ का अवतरण



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चर्चिका देवी मन्दिर / Charchika Devi Temple

मथुरा में विश्राम घाट के आगे सतीबुर्ज के निकट चर्चिका देवी का प्राचीन मन्दिर है । वर्ष में कई बार सवा मन प्रसाद का भोग लगता है, और इसे फूलों व नाना प्रकार से सुसज्जित करते हैं । इसके निकट दशावतार का प्रसिद्ध मन्दिर भी है । पुराणों के अनुसार चर्चिका देवी का प्रादुर्भाव शिव के तीसरे नेत्र से हुआ । सैनी नदी के किनारे सर्वप्रथम राजाधिराज ने देवी उपासना की, जिससे राजतंत्र का प्रारम्भ देवताओं चयन से हुआ जिसकी पूजा–अर्चना देव भी करते थे । इस देवी का इतिहास चमत्कारिक घटनाओं से परिपूर्ण है । चर्चिका देवी का मन्दिर वही है जिसकी हर्षवर्धन और इन्द्रद्युम्न ने पूजा–अर्चना की थी । धार्मिक ग्रन्थों में चर्चिका को श्मशानवासिनी बताया गया है ।
साँचा:Mathura temple