वैवस्वत मनु

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वैवस्वत

महाभारत में ८ मनुओं का उल्लेख है। इनमें से वैवस्वत मनु का संबंध कामायनी के नायक से जोड़ा जा सकता है। शतपथ ब्राह्मण में मनु को श्रद्धादेव कहकर संबोधित किया गया है। भागवत में इन्हीं वैवस्वत मनु और श्रद्धा से मानवीय सृष्टि का प्रारंभ माना गया है। श्वेत वराह कल्प में १४ मनुओं का उल्लेख है। प्रत्येक मनु ने एक मन्वंतर में राज किया। एक गणना के अनुसार इस धरती पर समय सातवाँ मन्वंतर चल रहा है। सूर्य के सबसे बड़े पुत्र का नाम था वैवस्वत मनु, जो उन्हें संज्ञा से प्राप्त हुआ था। इसके बाद संज्ञा से ही उन्हें जुड़वाँ संतान प्राप्त हुई थी- पुत्र यम तथा पुत्री यमुना । वैवस्वत मनु ने बड़ी प्रसिद्धि प्राप्त की। उन्होंने ही मानव संस्कृति को जन्म दिया और समन्वय की प्रवृत्ति की आधारशिला रखी। वैवस्वत मनु को ही पृथ्वी का प्रथम राजा कहा जाता है। कुछ विद्वान प्रभु को प्रथम राजा मानते हैं। वैवस्वत मनु के दस पुत्र हुए। उनके एक पुत्री भी थी इला, जो बाद में पुरुष बन गई। इक्ष्वाकु वैवस्वत का पुत्र था। वैवस्वत ने सातवॉं मनु होकर शाश्वत कीर्ति कमायी। वैवस्वत मनु ने स्वयं अयोध्या का निर्माण किया।