सूक्ति और विचार

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सूक्ति और विचार

  • जीवन अविकल कर्म है, न बुझने वाली पिपासा है। जीवन हलचल है, परिवर्तन है; और हलचल तथा परिवर्तन में सुख और शान्ति का कोई स्थान नहीं।
    -भगवती चरण वर्मा (चित्रलेखा, पृ0 24)
  • उदारता और स्वाधीनता मिल कर ही जीवनतत्व है।
    -अमृतलाल नागर (मानस का हंस, पृ0 367)
  • सत्य, आस्था और लगन जीवन-सिद्धि के मूल हैं।
    -अमृतलाल नागर (अमृत और विष, पृ0 437)
  • गंगा तुमरी साँच बड़ाई।
    एक सगर-सुत-हित जग आई तारयौ॥
    नाम लेत जल पिअत एक तुम तारत कुल अकुलाई।
    'हरीचन्द्र' याही तें तो सिव राखी सीस चढ़ाई॥
    -भारतेन्दु हरिश्चंद्र (कृष्ण-चरित्र, 37)
  • गंगा की पवित्रता में कोई विश्वास नहीं करने जाता। गंगा के निकट पहुँच जाने पर अनायास, वह विश्वास पता नहीं कहाँ से आ जाता है।
    -लक्ष्मीनारायण मिश्र (गरुड़ध्वज, पृ0 79)