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*बौद्ध ग्रन्थ-बौद्धमतावल्बियों ने जिस साहित्य का सृजन किया, उसमें भारतीय इतिहास की जानकारी के लिए प्रचुर सामग्रियाँ उपलब्ध हैं ।
 
*बौद्ध ग्रन्थ-बौद्धमतावल्बियों ने जिस साहित्य का सृजन किया, उसमें भारतीय इतिहास की जानकारी के लिए प्रचुर सामग्रियाँ उपलब्ध हैं ।
 
*बौद्ध संघ, भिक्षुओं तथा भिक्षुणियों के लिये आचरणीय नियम विधान विनय पिटक में प्राप्त होते हैं ।  
 
*बौद्ध संघ, भिक्षुओं तथा भिक्षुणियों के लिये आचरणीय नियम विधान विनय पिटक में प्राप्त होते हैं ।  
*अंगुत्तरनिकाय की अपनी एक विशेषता है । इसमें सुत्तों का संग्रह एक व्यवस्था के अनुसार किया गया है । आदि में ऐसे सुत्त हैं जिनमें बुद्ध भगवान के एक संख्यात्मक पदार्थो विषयक उपदेश संग्रह है, तत्पश्चात दो पदार्थों विषयक सुत्तों का और फिर तीन, चार आदि । इसी क्रम से इस निकाय के भीतर एकनिपात, दुकनिपात एवं तिक, चतुवक, पंचक, छक्क, सत्तक, अट्ठक, नवक, दसक और एकादसक इन नामों के ग्यारह निपातों का संकलन है ।
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*अंगुत्तरनिकाय की अपनी एक विशेषता है । इसमें सुत्तों का संग्रह एक व्यवस्था के अनुसार किया गया है । आदि में ऐसे सुत्त हैं जिनमें बुद्ध भगवान के एक संख्यात्मक पदार्थो विषयक उपदेश संग्रह है, तत्पश्चात दो पदार्थों विषयक सुत्तों का और फिर तीन, चार आदि । इसी क्रम से इस निकाय के भीतर एकनिपात, दुकनिपात एवं तिक, चतुवक, पंचक, छक्क, सत्तक, अट्ठक, नवक, दशक और एकादशक इन नामों के ग्यारह निपातों का संकलन है ।
 
*ये निपात पुन: वर्गों में विभाजित हैं, जिनकी संख्या निपात क्रम से 21, 16, 16, 26, 12, 9, 9, 9, 22 और 3 है । इस प्रकार 11 निपातों में कुल वर्गों की संख्या 169 है । प्रत्येक वर्ग के भीतर अनेक सुत्त हैं जिनकी संख्या एक वर्ग में कम से कम 7 और अधिक से अधिक 262 है ।
 
*ये निपात पुन: वर्गों में विभाजित हैं, जिनकी संख्या निपात क्रम से 21, 16, 16, 26, 12, 9, 9, 9, 22 और 3 है । इस प्रकार 11 निपातों में कुल वर्गों की संख्या 169 है । प्रत्येक वर्ग के भीतर अनेक सुत्त हैं जिनकी संख्या एक वर्ग में कम से कम 7 और अधिक से अधिक 262 है ।
 
*इस प्रकार अंगुत्तरनिकाय से सुत्तों की संख्या 2308 है ।
 
*इस प्रकार अंगुत्तरनिकाय से सुत्तों की संख्या 2308 है ।

१०:५०, ८ नवम्बर २००९ का अवतरण


अंगुत्तरनिकाय / AngutarNikay

  • अंगुत्तरनिकाय महत्वपूर्ण बौद्ध ग्रंथ है । इसके लेखक महंत आनंद कौसलायन हैं । महाबोधि सभा, कलकत्ता द्वारा इसको वर्तमान समय में प्रकाशित किया गया है ।
  • बौद्ध ग्रन्थ-बौद्धमतावल्बियों ने जिस साहित्य का सृजन किया, उसमें भारतीय इतिहास की जानकारी के लिए प्रचुर सामग्रियाँ उपलब्ध हैं ।
  • बौद्ध संघ, भिक्षुओं तथा भिक्षुणियों के लिये आचरणीय नियम विधान विनय पिटक में प्राप्त होते हैं ।
  • अंगुत्तरनिकाय की अपनी एक विशेषता है । इसमें सुत्तों का संग्रह एक व्यवस्था के अनुसार किया गया है । आदि में ऐसे सुत्त हैं जिनमें बुद्ध भगवान के एक संख्यात्मक पदार्थो विषयक उपदेश संग्रह है, तत्पश्चात दो पदार्थों विषयक सुत्तों का और फिर तीन, चार आदि । इसी क्रम से इस निकाय के भीतर एकनिपात, दुकनिपात एवं तिक, चतुवक, पंचक, छक्क, सत्तक, अट्ठक, नवक, दशक और एकादशक इन नामों के ग्यारह निपातों का संकलन है ।
  • ये निपात पुन: वर्गों में विभाजित हैं, जिनकी संख्या निपात क्रम से 21, 16, 16, 26, 12, 9, 9, 9, 22 और 3 है । इस प्रकार 11 निपातों में कुल वर्गों की संख्या 169 है । प्रत्येक वर्ग के भीतर अनेक सुत्त हैं जिनकी संख्या एक वर्ग में कम से कम 7 और अधिक से अधिक 262 है ।
  • इस प्रकार अंगुत्तरनिकाय से सुत्तों की संख्या 2308 है ।