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जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर (15 अक्तूबर, 1542- 27 अक्टूबर, 1605) [[मुग़ल वंश]] का तृतीय शासक था । अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात महान अकबर) के नाम से भी जाना जाता है । वह [[हुमायूँ]] का पुत्र था । मुग़ल बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों से सम्मान मिला । उसने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक धर्म की स्थापना की । उसका दरबार सबके लिए हर वक़्त खुला रहता था । उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे । अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया, बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम जनता दोनों उसके प्रशंसक बने । अकबर का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए उनका नाम बदरुद्दीन मौहम्मद अकबर रखा गया था । बदरुद्दीन का मतलब होता है पूर्ण चंद्रमा और अकबर आया उनके नाना शेख अली अकबर जामी के नाम से । कहा जाता है कि काबुल पर विजय मिलने के बाद उनके पिता हुमायूँ ने बुरी नज़र से बचने के लिए अकबर की जन्म तिथि एवं नाम बदल दिए थे । अरबी भाषा मे 'अक्बर' शब्द का अर्थ "महान" होता है । अकबर का जन्म राजपूत शासक राणा अमरसाल के महल में हुआ था । यह स्थान वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है । अकबर के माँ-बाप अपनी जान बचाने ईरान भाग गये और अकबर अपने पिता के छोटे भाइयों के संरक्षण में रहा । पहले वह कुछ दिनों कंधार में रहा और 1545 से काबुल में । हुमायूँ की अपने छोटे भाइयों से बराबर ठनी ही रही इसलिये चाचा लोगों के यहाँ अकबर की स्थिति बंदी से कुछ ही अच्छी थी । यद्यपि सभी उसके साथ अच्छा व्यवहार करते थे और शायद दुलार प्यार कुछ ज़्यादा ही होता था । किंतु अकबर पढ़ लिख नहीं सका वह केवल सैन्य शिक्षा ले सका ।
 
जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर (15 अक्तूबर, 1542- 27 अक्टूबर, 1605) [[मुग़ल वंश]] का तृतीय शासक था । अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात महान अकबर) के नाम से भी जाना जाता है । वह [[हुमायूँ]] का पुत्र था । मुग़ल बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों से सम्मान मिला । उसने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक धर्म की स्थापना की । उसका दरबार सबके लिए हर वक़्त खुला रहता था । उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे । अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया, बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम जनता दोनों उसके प्रशंसक बने । अकबर का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए उनका नाम बदरुद्दीन मौहम्मद अकबर रखा गया था । बदरुद्दीन का मतलब होता है पूर्ण चंद्रमा और अकबर आया उनके नाना शेख अली अकबर जामी के नाम से । कहा जाता है कि काबुल पर विजय मिलने के बाद उनके पिता हुमायूँ ने बुरी नज़र से बचने के लिए अकबर की जन्म तिथि एवं नाम बदल दिए थे । अरबी भाषा मे 'अक्बर' शब्द का अर्थ "महान" होता है । अकबर का जन्म राजपूत शासक राणा अमरसाल के महल में हुआ था । यह स्थान वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है । अकबर के माँ-बाप अपनी जान बचाने ईरान भाग गये और अकबर अपने पिता के छोटे भाइयों के संरक्षण में रहा । पहले वह कुछ दिनों कंधार में रहा और 1545 से काबुल में । हुमायूँ की अपने छोटे भाइयों से बराबर ठनी ही रही इसलिये चाचा लोगों के यहाँ अकबर की स्थिति बंदी से कुछ ही अच्छी थी । यद्यपि सभी उसके साथ अच्छा व्यवहार करते थे और शायद दुलार प्यार कुछ ज़्यादा ही होता था । किंतु अकबर पढ़ लिख नहीं सका वह केवल सैन्य शिक्षा ले सका ।
 
अकबर के दरबार में 9 विशेष दरबारी थे जिन्हें अकबर के 'नवरत्न' के नाम से भी जाना जाता है।
 
अकबर के दरबार में 9 विशेष दरबारी थे जिन्हें अकबर के 'नवरत्न' के नाम से भी जाना जाता है।
[[अबुल फ़ज़ल]] (1551 - 1602 ) ने अकबर के काल को क़लमबद्ध किया था। उसने अकबरनामा की भी रचना की थी।
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*[[अबुल फ़ज़ल]] (1551 - 1602 ) ने अकबर के काल को क़लमबद्ध किया था। उसने अकबरनामा की भी रचना की थी।
[[फ़ैज़ी]] (1547 - 1595) अबुल फ़ज़ल का भाई था। वह फ़ारसी में कविता करता था। राजा अकबर ने उसे अपने बेटे के गणित शिक्षक के पद पर नियुक्त किया था।
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*[[फ़ैज़ी]] (1547 - 1595) अबुल फ़ज़ल का भाई था। वह फ़ारसी में कविता करता था। राजा अकबर ने उसे अपने बेटे के गणित शिक्षक के पद पर नियुक्त किया था।
मिंया [[तानसेन]] अकबर के दरबार में गायक थे। वह कविता भी लिखा करते थे।
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*मिंया [[तानसेन]] अकबर के दरबार में गायक थे। वह कविता भी लिखा करते थे।
राजा [[बीरबल]] (1528 - 1583) दरबार के विदूषक और अकबर के सलाहकार थे।
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*राजा [[बीरबल]] (1528 - 1583) दरबार के विदूषक और अकबर के सलाहकार थे।
राजा टोडरमल अकबर के वित्त मंत्री थे।
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*राजा टोडरमल अकबर के वित्त मंत्री थे।
राजा [[मान सिंह]] आम्बेर (जयपुर) के कच्छवाहा राजपूत राजा थे । वह अकबर की सेना के प्रधान सेनापति थे।
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*राजा [[मान सिंह]] आम्बेर (जयपुर) के कच्छवाहा राजपूत राजा थे । वह अकबर की सेना के प्रधान सेनापति थे।
[[अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना]] एक कवि थे और अकबर के संरक्षक बैरम ख़ान के बेटे थे।
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*[[अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना]] एक कवि थे और अकबर के संरक्षक बैरम ख़ान के बेटे थे।
फ़कीर अजिओं-दिन अकबर के सलाहकार थे।
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*फ़कीर अजिओं-दिन अकबर के सलाहकार थे।
मुल्ला दो पिआज़ा अकबर के सलाहकार थे।
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*मुल्ला दो पिआज़ा अकबर के सलाहकार थे।

०७:३५, १७ मई २००९ का अवतरण

जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर

जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर (15 अक्तूबर, 1542- 27 अक्टूबर, 1605) मुग़ल वंश का तृतीय शासक था । अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात महान अकबर) के नाम से भी जाना जाता है । वह हुमायूँ का पुत्र था । मुग़ल बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों से सम्मान मिला । उसने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक धर्म की स्थापना की । उसका दरबार सबके लिए हर वक़्त खुला रहता था । उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे । अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया, बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम जनता दोनों उसके प्रशंसक बने । अकबर का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए उनका नाम बदरुद्दीन मौहम्मद अकबर रखा गया था । बदरुद्दीन का मतलब होता है पूर्ण चंद्रमा और अकबर आया उनके नाना शेख अली अकबर जामी के नाम से । कहा जाता है कि काबुल पर विजय मिलने के बाद उनके पिता हुमायूँ ने बुरी नज़र से बचने के लिए अकबर की जन्म तिथि एवं नाम बदल दिए थे । अरबी भाषा मे 'अक्बर' शब्द का अर्थ "महान" होता है । अकबर का जन्म राजपूत शासक राणा अमरसाल के महल में हुआ था । यह स्थान वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है । अकबर के माँ-बाप अपनी जान बचाने ईरान भाग गये और अकबर अपने पिता के छोटे भाइयों के संरक्षण में रहा । पहले वह कुछ दिनों कंधार में रहा और 1545 से काबुल में । हुमायूँ की अपने छोटे भाइयों से बराबर ठनी ही रही इसलिये चाचा लोगों के यहाँ अकबर की स्थिति बंदी से कुछ ही अच्छी थी । यद्यपि सभी उसके साथ अच्छा व्यवहार करते थे और शायद दुलार प्यार कुछ ज़्यादा ही होता था । किंतु अकबर पढ़ लिख नहीं सका वह केवल सैन्य शिक्षा ले सका । अकबर के दरबार में 9 विशेष दरबारी थे जिन्हें अकबर के 'नवरत्न' के नाम से भी जाना जाता है।

  • अबुल फ़ज़ल (1551 - 1602 ) ने अकबर के काल को क़लमबद्ध किया था। उसने अकबरनामा की भी रचना की थी।
  • फ़ैज़ी (1547 - 1595) अबुल फ़ज़ल का भाई था। वह फ़ारसी में कविता करता था। राजा अकबर ने उसे अपने बेटे के गणित शिक्षक के पद पर नियुक्त किया था।
  • मिंया तानसेन अकबर के दरबार में गायक थे। वह कविता भी लिखा करते थे।
  • राजा बीरबल (1528 - 1583) दरबार के विदूषक और अकबर के सलाहकार थे।
  • राजा टोडरमल अकबर के वित्त मंत्री थे।
  • राजा मान सिंह आम्बेर (जयपुर) के कच्छवाहा राजपूत राजा थे । वह अकबर की सेना के प्रधान सेनापति थे।
  • अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना एक कवि थे और अकबर के संरक्षक बैरम ख़ान के बेटे थे।
  • फ़कीर अजिओं-दिन अकबर के सलाहकार थे।
  • मुल्ला दो पिआज़ा अकबर के सलाहकार थे।