अक्रूर भवन
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पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है। |
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अक्रूर भवन / Akrur Bhavan
- बलि महाराज टीले से कुछ आगे बढ़ने पर अक्रूरजी का भवन है।
- अक्रूरजी कृष्ण बलदेव को मथुरा में अपने इसी वासस्थल पर लाना चाहते थे, किन्तु कृष्ण और बलदेव कंस को मारने के पश्चात वहाँ आने का वचन देकर अपने पिता श्रीनन्दबाबा के पास मथुरा की सीमा पर ठहर गये थे।