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*अमरावती महाराष्ट्र प्रान्त का एक शहर है। यह [[इंद्र]] देवता की नगरी के रूप में विख्यात है। | *अमरावती महाराष्ट्र प्रान्त का एक शहर है। यह [[इंद्र]] देवता की नगरी के रूप में विख्यात है। | ||
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*कोण्डण्ण बुद्ध के समय में यह नगर अठारह 'ली' विस्तृत था । यहीं पर उनका प्रथम उपदेश हुआ था। | *कोण्डण्ण बुद्ध के समय में यह नगर अठारह 'ली' विस्तृत था । यहीं पर उनका प्रथम उपदेश हुआ था। | ||
− | *अमरावती नामक स्तूप, जो दक्षिण भारत के कृष्णा जिले में बेजवाड़ा से पश्चिम और धरणीकोट के दक्षिण कृष्णा के दक्षिण तट पर स्थित है । [[हुएन-सांग|हुयेनसांग]] का पूर्व शैल संघाराम यही है । यह स्तूप 370-380 ई॰ में आन्ध्रभृत्य राजाओं द्वारा निर्मित हुआ था । <ref>जर्नल ऑफ रायल एशियाटिक सोसायटी, जिल्द 3,पृ॰, 132 ।</ref> | + | *अमरावती नामक स्तूप, जो दक्षिण भारत के कृष्णा जिले में बेजवाड़ा से पश्चिम और धरणीकोट के दक्षिण कृष्णा के दक्षिण तट पर स्थित है । [[हुएन-सांग|हुयेनसांग]] का पूर्व शैल संघाराम यही है । यह स्तूप 370-380 ई॰ में आन्ध्रभृत्य राजाओं द्वारा निर्मित हुआ था । <ref>जर्नल ऑफ रायल एशियाटिक सोसायटी, जिल्द 3,पृ॰, 132 ।</ref> |
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०८:३७, १५ दिसम्बर २००९ का अवतरण
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अमरावती / Amravati
- अमरावती महाराष्ट्र प्रान्त का एक शहर है। यह इंद्र देवता की नगरी के रूप में विख्यात है।
- जिस नगरी में देवता लोग रहते हैं । इसे इन्द्रपुरी भी कहते हैं । इसके पर्याय हैं-
- पूषभासा,
- देवपू:,
- महेन्द्रनगरी,
- अमरा और
- सुरपुरी ।
- सीमान्त प्रदेश (पाकिस्तान) में जलालाबाद से दो मील पश्चिम नगरहार है। फाहियान इसको 'नेकिये-लोहो' कहता है । पालि साहित्य की अमरावती यही है ।
- कोण्डण्ण बुद्ध के समय में यह नगर अठारह 'ली' विस्तृत था । यहीं पर उनका प्रथम उपदेश हुआ था।
- अमरावती नामक स्तूप, जो दक्षिण भारत के कृष्णा जिले में बेजवाड़ा से पश्चिम और धरणीकोट के दक्षिण कृष्णा के दक्षिण तट पर स्थित है । हुयेनसांग का पूर्व शैल संघाराम यही है । यह स्तूप 370-380 ई॰ में आन्ध्रभृत्य राजाओं द्वारा निर्मित हुआ था । [१]
टीका-टिप्पणी
- ↑ जर्नल ऑफ रायल एशियाटिक सोसायटी, जिल्द 3,पृ॰, 132 ।