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*आकाश में [[सप्तर्षि|सप्तर्षियों]] के मध्य वसिष्ठ के पास अरुन्धती का तारा रहता है । जिसकी आयु पूर्ण हो चुकी है, वह इसको नहीं देख पाता: दीपक बुझने की गन्ध, मित्रों के वचन और अरुन्धती तारे को व्यतीत आयु वाले न सूँघते ,न सुनते और न देखते हैं । <ref>दीपनिर्वाणगन्धच्च सुहद्वाक्यमरुन्धतीम् । न जिघ्रन्ति न श्रृण्वन्ति न पश्यन्ति गतायुष:॥</ref> | *आकाश में [[सप्तर्षि|सप्तर्षियों]] के मध्य वसिष्ठ के पास अरुन्धती का तारा रहता है । जिसकी आयु पूर्ण हो चुकी है, वह इसको नहीं देख पाता: दीपक बुझने की गन्ध, मित्रों के वचन और अरुन्धती तारे को व्यतीत आयु वाले न सूँघते ,न सुनते और न देखते हैं । <ref>दीपनिर्वाणगन्धच्च सुहद्वाक्यमरुन्धतीम् । न जिघ्रन्ति न श्रृण्वन्ति न पश्यन्ति गतायुष:॥</ref> | ||
*विवाह में [[सप्तपदी]] गमन के अनन्तर वर मन्त्र का उच्चारण करता हुआ वधू को अरुन्धती का दर्शन कराता है । अरुन्धती स्थायी विवाह सम्बन्ध का प्रतीक है । | *विवाह में [[सप्तपदी]] गमन के अनन्तर वर मन्त्र का उच्चारण करता हुआ वधू को अरुन्धती का दर्शन कराता है । अरुन्धती स्थायी विवाह सम्बन्ध का प्रतीक है । | ||
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०७:१९, १२ जनवरी २०१० का अवतरण
अरुन्धती / Arundhit
- वसिष्ठ पत्नी, इसका पर्याय है अक्षमाला ।
- भागवत के अनुसार अरुन्धती कर्दम मुनि की महासाध्वी कन्या थी ।
- आकाश में सप्तर्षियों के मध्य वसिष्ठ के पास अरुन्धती का तारा रहता है । जिसकी आयु पूर्ण हो चुकी है, वह इसको नहीं देख पाता: दीपक बुझने की गन्ध, मित्रों के वचन और अरुन्धती तारे को व्यतीत आयु वाले न सूँघते ,न सुनते और न देखते हैं । [१]
- विवाह में सप्तपदी गमन के अनन्तर वर मन्त्र का उच्चारण करता हुआ वधू को अरुन्धती का दर्शन कराता है । अरुन्धती स्थायी विवाह सम्बन्ध का प्रतीक है ।
टीका-टिप्पणी
- ↑ दीपनिर्वाणगन्धच्च सुहद्वाक्यमरुन्धतीम् । न जिघ्रन्ति न श्रृण्वन्ति न पश्यन्ति गतायुष:॥
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