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[[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो [[कुन्ती]] ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया । कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि [[दुर्वासा]] ने एक वरदान दिया था जिसमें कुंती किसी भी देवता का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी । पाण्डु एवं कुन्ती ने इस वरदान का प्रयोग किया एवं धर्मराज, वायु एवं [[इंद्र]] देवता का आवाहन किया । अर्जुन तीसरे पुत्र थे जो देवताओं के राजा इंद्र से हुए । अर्जुन सबसे अच्छा तीरंदाज था वो [[द्रोणाचार्य]] का शिष्य था जीवन मे अनेक अवसरों पर उसने इसका परिचय दिया था [[द्रोपदी]] को स्वयंम्वर मे जीतने वाला वो ही था ।
 
[[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो [[कुन्ती]] ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया । कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि [[दुर्वासा]] ने एक वरदान दिया था जिसमें कुंती किसी भी देवता का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी । पाण्डु एवं कुन्ती ने इस वरदान का प्रयोग किया एवं धर्मराज, वायु एवं [[इंद्र]] देवता का आवाहन किया । अर्जुन तीसरे पुत्र थे जो देवताओं के राजा इंद्र से हुए । अर्जुन सबसे अच्छा तीरंदाज था वो [[द्रोणाचार्य]] का शिष्य था जीवन मे अनेक अवसरों पर उसने इसका परिचय दिया था [[द्रोपदी]] को स्वयंम्वर मे जीतने वाला वो ही था ।

११:१३, २ जून २००९ का अवतरण

अर्जुन ( Arjuna )

महाभारत के मुख्य पात्र हैं। महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया । कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि दुर्वासा ने एक वरदान दिया था जिसमें कुंती किसी भी देवता का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी । पाण्डु एवं कुन्ती ने इस वरदान का प्रयोग किया एवं धर्मराज, वायु एवं इंद्र देवता का आवाहन किया । अर्जुन तीसरे पुत्र थे जो देवताओं के राजा इंद्र से हुए । अर्जुन सबसे अच्छा तीरंदाज था वो द्रोणाचार्य का शिष्य था जीवन मे अनेक अवसरों पर उसने इसका परिचय दिया था द्रोपदी को स्वयंम्वर मे जीतने वाला वो ही था ।