"कंस टीला" के अवतरणों में अंतर

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==कंस टीला / Kans Teela==
 
==कंस टीला / Kans Teela==
[[चित्र:Kans-Fort.jpg|कंस टीला, [[मथुरा]]<br /> Kans Teela, Mathura|thumb|250px]]
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*कंस टीला यमुना किनारे,परिक्रमा मार्ग, [[मथुरा]] पर स्थित है।
*कंस टीला 229/239 आगरा मार्ग, [[मथुरा]] पर स्थित है ।
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*कहते हैं यह स्थान पाँच हज़ार साल पुराना है परंतु यहाँ बना मंदिर नवनिर्मित है।
*यह स्थान पाँच हज़ार साल पुराना है परंतु यहाँ बना मंदिर नवनिर्मित है ।
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*यह चालीस फीट ऊँचे टीले पर बना आयताकार (120’ X 80’) आधार का मन्दिर है। सड़क से टीले पर जाने के लिए सीढ़ियाँ निर्मित हैं। यह नवनिर्मित मन्दिर ईंट व सीमेंट से बना है जिसका मुख्य द्वार पक्षिम की ओर है।
*यह चालीस फीट ऊँचे टीले पर बना आयताकार (120’ X 80’) आधार का मन्दिर है । सड़क से टीले पर जाने के लिए सीढ़ियाँ निर्मित हैं । यह नवनिर्मित मन्दिर ईंट व सीमेंट से बना है जिसका मुख्य द्वार पक्षिम की ओर है ।
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*यहाँ बना मन्दिर, [[कंस]] का भगवान [[कृष्ण]] और [[बलराम]] द्वारा वध किया जाने वाले स्थान के रूप में विख्यात है। बताया जाता है कि भगवान कृष्ण ने इस टीले से कंस को लुढ़काया था। भगवान कृष्ण और बलराम के अलावा यहाँ एक प्राचीन पीपल का पेड़ व [[हनुमान]] जी की प्रतिमा को भी पूजा जाता है। यह एक प्राकर्तिक रचना प्रतीत होती है क्योंकि नदी द्वारा बनी पुरानी दीवार इससे मिली हुई लगती है।
*यहाँ बना मन्दिर, [[कंस]] का भगवान [[कृष्ण]] और [[बलराम]] द्वारा वध किया जाने वाले स्थान के रूप में विख्यात है । बताया जाता है कि भगवान कृष्ण ने इस टीले से कंस को लुढ़काया था । भगवान कृष्ण और बलराम के अलावा यहाँ एक प्राचीन पीपल के पेड़ व [[हनुमान]] जी की प्रतिमा को भी पूजा जाता है । यह एक प्राकर्तिक रचना प्रतीत होती है क्योंकि नदी द्वारा बनी पुरानी दीवार इससे मिली हुई लगती है ।
 
  
 
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१२:४१, २ नवम्बर २०१३ के समय का अवतरण

कंस टीला / Kans Teela

  • कंस टीला यमुना किनारे,परिक्रमा मार्ग, मथुरा पर स्थित है।
  • कहते हैं यह स्थान पाँच हज़ार साल पुराना है परंतु यहाँ बना मंदिर नवनिर्मित है।
  • यह चालीस फीट ऊँचे टीले पर बना आयताकार (120’ X 80’) आधार का मन्दिर है। सड़क से टीले पर जाने के लिए सीढ़ियाँ निर्मित हैं। यह नवनिर्मित मन्दिर ईंट व सीमेंट से बना है जिसका मुख्य द्वार पक्षिम की ओर है।
  • यहाँ बना मन्दिर, कंस का भगवान कृष्ण और बलराम द्वारा वध किया जाने वाले स्थान के रूप में विख्यात है। बताया जाता है कि भगवान कृष्ण ने इस टीले से कंस को लुढ़काया था। भगवान कृष्ण और बलराम के अलावा यहाँ एक प्राचीन पीपल का पेड़ व हनुमान जी की प्रतिमा को भी पूजा जाता है। यह एक प्राकर्तिक रचना प्रतीत होती है क्योंकि नदी द्वारा बनी पुरानी दीवार इससे मिली हुई लगती है।