कलिसन्तरणोपनिषद

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
Maintenance (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित १२:५१, २९ जुलाई २०१० का अवतरण (Text replace - '==उपनिषद के अन्य लिंक== {{उपनिषद}}' to '==सम्बंधित लिंक== {{संस्कृत साहित्य}}')
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • कृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद
    • अक्षि उपनिषद|अक्षि उपनिषद
    • अमृतनादोपनिषद|अमृतनादोपनिषद
    • कठोपनिषद|कठोपनिषद
    • कठरूद्रोपनिषद|कठरूद्रोपनिषद
    • कलिसन्तरणोपनिषद|कलिसन्तरणोपनिषद
    • कैवल्योपनिषद|कैवल्योपनिषद
    • कालाग्निरूद्रोपनिषद|कालाग्निरूद्रोपनिषद
    • चाक्षुषोपनिषद|चाक्षुषोपनिषद
    • क्षुरिकोपनिषद|क्षुरिकोपनिषद
    • तैत्तिरीयोपनिषद|तैत्तिरीयोपनिषद
    • दक्षिणामूर्ति उपनिषद|दक्षिणामूर्ति उपनिषद
    • ध्यानबिन्दु उपनिषद|ध्यानबिन्दु उपनिषद
    • नारायणोपनिषद|नारायणोपनिषद
    • रूद्रहृदयोपनिषद|रूद्रहृदयोपनिषद
    • शारीरिकोपनिषद|शारीरिकोपनिषद
    • शुकरहस्योपनिषद|शुकरहस्योपनिषद
    • श्वेताश्वतरोपनिषद|श्वेताश्वतरोपनिषद

</sidebar>

कलिसन्तरणोपनिषद

  • कृष्ण यजुर्वेद से सम्बन्धित इस उपनिषद में 'यथा नाम तथा गुण' की उक्ति को चरितार्थ करते हुए 'कलियुग' के दुष्प्रभाव से मुक्त हो जाने का अति सुगम उपाय बताया गया है। इसमें 'हरि नाम' की महिमा का ही वर्णन है। इसीलिए इसे 'हरिनामोपनिषद' भी कहा जाता है। इसमें कुल तीन मन्त्र हैं। नारद और ब्रह्मा जी के संवाद-रूप में में इस उपनिषद की रचना हुई है।
  • इसमें बताया गया है कि आत्मा के ऊपर जो आवरण पड़ा हुआ है, उसे भेदने के लिए सुगम उपाय भगवान के नाम का स्मरण है। जिस प्रकार मेघाच्छन्न सूर्य, वायु के द्वारा मेघों को हटाने पर मुक्त आकाश में चमकने लगता है, वैसे ही भगवान नाम के कीर्तन से 'ब्रह्म' का दर्शन सम्भव हो जाता है। ब्रह्मा जी ने कहा-

हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।

  • ये सोलह नाम जपने से कलिकाल के महान पापों का नाश हो जाता है। शुद्ध-अशुद्ध, हर स्थिति में इस मन्त्र-नाम का सतत जप करने वाला भक्त, सभी तरह के बन्धनों से मुक्ति प्राप्त कर लेता है और 'मोक्ष' को प्राप्त होता है।


सम्बंधित लिंक