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कालिदास की प्रमुख रचनाएं
 
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#विक्रमोवशीर्यम् और  
 
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#ऋतुसंहार
 
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११:३२, १५ मई २००९ का अवतरण

कालिदास

कालिदास संस्कृत भाषा के सबसे महान कवि और नाटककार थे । कालिदास नाम का शाब्दिक अर्थ है, " काली का सेवक"। कालिदास शिव के भक्त थे । उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की । कलिदास अपनी अलंकार युक्त सुंदर सरल और मधुर भाषा के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं । उनके ऋतु वर्णन अद्वितीय हैं और उनकी उपमाएं बेमिसाल । संगीत उनके साहित्य का प्रमुख अंग है और रस का सृजन करने में उनकी कोई उपमा नहीं । उन्होंने अपने शृंगार रस प्रधान साहित्य में भी साहित्यिक सौन्दर्य के साथ साथ आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है । उनका नाम अमर है और उनका स्थान वाल्मीकि और व्यास की परम्परा में है । कालिदास शक्लो-सूरत से सुंदर थे और विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में एक थे । लेकिन कहा जाता है कि प्रारंभिक जीवन में कालिदास अनपढ़ और मूर्ख थे । कालिदास की शादी विद्योत्तमा नाम की राजकुमारी से हुई ।

रचनाएं

कालिदास की प्रमुख रचनाएं

नाटक:

  1. अभिज्ञान शाकुन्तलम्,
  2. विक्रमोवशीर्यम् और
  3. मालविकाग्निमित्रम्।

महाकाव्य:

  1. रघुवंशम् और
  2. कुमारसंभवम्

खण्डकाव्य:

  1. मेघदूतम् और
  2. ऋतुसंहार