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कालिदास [[संस्कृत]] भाषा के सबसे महान कवि और नाटककार थे । कालिदास नाम का शाब्दिक अर्थ है, " काली का सेवक"। कालिदास [[शिव]] के भक्त थे । उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की । कलिदास अपनी अलंकार युक्त सुंदर सरल और मधुर भाषा के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं । उनके ऋतु वर्णन अद्वितीय हैं और उनकी उपमाएं बेमिसाल । संगीत उनके साहित्य का प्रमुख अंग है और रस का सृजन करने में उनकी कोई उपमा नहीं । उन्होंने अपने शृंगार रस प्रधान साहित्य में भी साहित्यिक सौन्दर्य के साथ साथ आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है । उनका नाम अमर है और उनका स्थान [[वाल्मीकि]] और [[व्यास]] की परम्परा में है । | कालिदास [[संस्कृत]] भाषा के सबसे महान कवि और नाटककार थे । कालिदास नाम का शाब्दिक अर्थ है, " काली का सेवक"। कालिदास [[शिव]] के भक्त थे । उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की । कलिदास अपनी अलंकार युक्त सुंदर सरल और मधुर भाषा के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं । उनके ऋतु वर्णन अद्वितीय हैं और उनकी उपमाएं बेमिसाल । संगीत उनके साहित्य का प्रमुख अंग है और रस का सृजन करने में उनकी कोई उपमा नहीं । उन्होंने अपने शृंगार रस प्रधान साहित्य में भी साहित्यिक सौन्दर्य के साथ साथ आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है । उनका नाम अमर है और उनका स्थान [[वाल्मीकि]] और [[व्यास]] की परम्परा में है । | ||
कालिदास शक्लो-सूरत से सुंदर थे और [[विक्रमादित्य]] के दरबार के नवरत्नों में एक थे । लेकिन कहा जाता है कि प्रारंभिक जीवन में कालिदास अनपढ़ और मूर्ख थे । कालिदास की शादी विद्योत्तमा नाम की राजकुमारी से हुई । | कालिदास शक्लो-सूरत से सुंदर थे और [[विक्रमादित्य]] के दरबार के नवरत्नों में एक थे । लेकिन कहा जाता है कि प्रारंभिक जीवन में कालिदास अनपढ़ और मूर्ख थे । कालिदास की शादी विद्योत्तमा नाम की राजकुमारी से हुई । | ||
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कालिदास की प्रमुख रचनाएं | कालिदास की प्रमुख रचनाएं | ||
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#विक्रमोवशीर्यम् और | #विक्रमोवशीर्यम् और |
११:२८, १५ मई २००९ का अवतरण
कालिदास
कालिदास संस्कृत भाषा के सबसे महान कवि और नाटककार थे । कालिदास नाम का शाब्दिक अर्थ है, " काली का सेवक"। कालिदास शिव के भक्त थे । उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की । कलिदास अपनी अलंकार युक्त सुंदर सरल और मधुर भाषा के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं । उनके ऋतु वर्णन अद्वितीय हैं और उनकी उपमाएं बेमिसाल । संगीत उनके साहित्य का प्रमुख अंग है और रस का सृजन करने में उनकी कोई उपमा नहीं । उन्होंने अपने शृंगार रस प्रधान साहित्य में भी साहित्यिक सौन्दर्य के साथ साथ आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है । उनका नाम अमर है और उनका स्थान वाल्मीकि और व्यास की परम्परा में है । कालिदास शक्लो-सूरत से सुंदर थे और विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में एक थे । लेकिन कहा जाता है कि प्रारंभिक जीवन में कालिदास अनपढ़ और मूर्ख थे । कालिदास की शादी विद्योत्तमा नाम की राजकुमारी से हुई । रचनाएं कालिदास की प्रमुख रचनाएं
नाटक:
- अभिज्ञान शाकुन्तलम्,
- विक्रमोवशीर्यम् और
- मालविकाग्निमित्रम्।
==महाकाव्य==:
- रघुवंशम् और
- कुमारसंभवम्
==खण्डकाव्य==:
- मेघदूतम् और
- ऋतुसंहार