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पृथ्वी पर [[हैह्यवंश]] के राजा कृतवीर्य का राज्य था । कृतवीर्य बड़े वीर, दयालु, दानवीर और धर्मात्मा राजा थे । उनके राज्य में सर्वत्र सुख-शांति व्याप्त थी । कृतवीर्य की मृत्यु के बाद मंत्रियों और पुरोहितों ने महर्षि गर्ग से विचार-विमर्श कर उनके पुत्र कार्तवीर्य को बुलवाया और उनसे कहा ‘‘युवराज ! महाराज को प्राण त्यागे बहुत समय हो गया है । सिंहासन को अब अधिक दिनों तक रिक्त रखना उचित नहीं है । पड़ोसी राजा राज्य पर गिद्ध दृष्टि जमाए हुए हैं । महाराज कृतवीर्य ने भी यही राज्य करते हुए स्वर्ग को प्राप्त किया है । | पृथ्वी पर [[हैह्यवंश]] के राजा कृतवीर्य का राज्य था । कृतवीर्य बड़े वीर, दयालु, दानवीर और धर्मात्मा राजा थे । उनके राज्य में सर्वत्र सुख-शांति व्याप्त थी । कृतवीर्य की मृत्यु के बाद मंत्रियों और पुरोहितों ने महर्षि गर्ग से विचार-विमर्श कर उनके पुत्र कार्तवीर्य को बुलवाया और उनसे कहा ‘‘युवराज ! महाराज को प्राण त्यागे बहुत समय हो गया है । सिंहासन को अब अधिक दिनों तक रिक्त रखना उचित नहीं है । पड़ोसी राजा राज्य पर गिद्ध दृष्टि जमाए हुए हैं । महाराज कृतवीर्य ने भी यही राज्य करते हुए स्वर्ग को प्राप्त किया है । |
१३:००, ५ जून २००९ का अवतरण
कृतवीर्य
पृथ्वी पर हैह्यवंश के राजा कृतवीर्य का राज्य था । कृतवीर्य बड़े वीर, दयालु, दानवीर और धर्मात्मा राजा थे । उनके राज्य में सर्वत्र सुख-शांति व्याप्त थी । कृतवीर्य की मृत्यु के बाद मंत्रियों और पुरोहितों ने महर्षि गर्ग से विचार-विमर्श कर उनके पुत्र कार्तवीर्य को बुलवाया और उनसे कहा ‘‘युवराज ! महाराज को प्राण त्यागे बहुत समय हो गया है । सिंहासन को अब अधिक दिनों तक रिक्त रखना उचित नहीं है । पड़ोसी राजा राज्य पर गिद्ध दृष्टि जमाए हुए हैं । महाराज कृतवीर्य ने भी यही राज्य करते हुए स्वर्ग को प्राप्त किया है ।