"कृतवीर्य" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
पंक्ति १: पंक्ति १:
==कृतवीर्य==
+
==कृतवीर्य / Kritvirya==
 
[[category:पौराणिक इतिहास]]
 
[[category:पौराणिक इतिहास]]
पृथ्वी पर [[हैह्यवंश]] के राजा कृतवीर्य का राज्य था । कृतवीर्य बड़े वीर, दयालु, दानवीर और धर्मात्मा राजा थे । उनके राज्य में सर्वत्र सुख-शांति व्याप्त थी । कृतवीर्य की मृत्यु के बाद मंत्रियों और पुरोहितों ने महर्षि गर्ग से विचार-विमर्श कर उनके पुत्र कार्तवीर्य को बुलवाया और उनसे कहा ‘‘युवराज ! महाराज को प्राण त्यागे बहुत समय हो गया है । सिंहासन को अब अधिक दिनों तक रिक्त रखना उचित नहीं है । पड़ोसी राजा राज्य पर गिद्ध दृष्टि जमाए हुए हैं । महाराज कृतवीर्य ने भी यही राज्य करते हुए स्वर्ग को प्राप्त किया है ।
+
कृतवीर्य पुण्यवान प्रतापी राजा थे और अपने समकालीन राजाओ मे वे सर्वश्रेष्ठ राजा माने जाते थे। इनकी रानी का नाम कौशिक था। राजा कनक के चार सुविख्यात पुत्र कृतवीर्य, कृतौजा, कृतवर्मा और कृताग्नि हुये। राजा कनक के ज्येष्ठ पुत्र कृतवीर्य उनके पश्चात राज्य के उत्तराधिकारी बने। यह एक शिष्ट एवं सौम्य नृपति थे। भार्गव वंशी ब्राह्मण इनके राज पुरोहित थे। भार्गव नेता [[जमदाग्नि ॠषि]] से इनके मधुर संबंध थे। कृतवीर्य ने उन्हें कपिला नामक धेनु दान में दी थी।
 +
 
 +
कृतवीर्य के पुत्र अर्जुन थे। कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण उन्हें [[कार्त्तवीर्याजुन]] भी कहा गया। कार्त्तवीर्याजुन भरतीय इतिहास एवं हैहय वंश के एक अत्यंत उल्लेखनीय एवं प्रतापी शासक सिद्ध हुए। महाराज कार्तवीर्य अर्जुन (सहस्त्रार्जुन) जी का जन्म कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को श्रावण नक्षत्र में प्रात: काल के मुहूर्त में हुआ था। पौराणिक ग्रंथो में कार्तवीर्य अजुर्न के अनेक नाम अंकित है जैसे सहस्त्रार्जुन, कृतवीर्य, नन्दन, राजेश्वर, हैहयाधिपति, दषग्रीविजयी, सुदर्शन, चक्रावतार, सप्तद्वीपाधि आदि।

१२:४९, १३ जुलाई २००९ का अवतरण

कृतवीर्य / Kritvirya

कृतवीर्य पुण्यवान प्रतापी राजा थे और अपने समकालीन राजाओ मे वे सर्वश्रेष्ठ राजा माने जाते थे। इनकी रानी का नाम कौशिक था। राजा कनक के चार सुविख्यात पुत्र कृतवीर्य, कृतौजा, कृतवर्मा और कृताग्नि हुये। राजा कनक के ज्येष्ठ पुत्र कृतवीर्य उनके पश्चात राज्य के उत्तराधिकारी बने। यह एक शिष्ट एवं सौम्य नृपति थे। भार्गव वंशी ब्राह्मण इनके राज पुरोहित थे। भार्गव नेता जमदाग्नि ॠषि से इनके मधुर संबंध थे। कृतवीर्य ने उन्हें कपिला नामक धेनु दान में दी थी।

कृतवीर्य के पुत्र अर्जुन थे। कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण उन्हें कार्त्तवीर्याजुन भी कहा गया। कार्त्तवीर्याजुन भरतीय इतिहास एवं हैहय वंश के एक अत्यंत उल्लेखनीय एवं प्रतापी शासक सिद्ध हुए। महाराज कार्तवीर्य अर्जुन (सहस्त्रार्जुन) जी का जन्म कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को श्रावण नक्षत्र में प्रात: काल के मुहूर्त में हुआ था। पौराणिक ग्रंथो में कार्तवीर्य अजुर्न के अनेक नाम अंकित है जैसे सहस्त्रार्जुन, कृतवीर्य, नन्दन, राजेश्वर, हैहयाधिपति, दषग्रीविजयी, सुदर्शन, चक्रावतार, सप्तद्वीपाधि आदि।