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तत्र स्नानेन दानेन मम लोके महीयते ।।<br />  
 
तत्र स्नानेन दानेन मम लोके महीयते ।।<br />  
 
यहाँ कोटि–कोटि देववृन्द भगवद् आराधना करने की अभिलाषा करते हैं । इन देवताओं के लिए भी यह दुर्लभ स्थान है । यहाँ स्नान करने से भगवद्लोक की प्राप्ति होती है ।
 
यहाँ कोटि–कोटि देववृन्द भगवद् आराधना करने की अभिलाषा करते हैं । इन देवताओं के लिए भी यह दुर्लभ स्थान है । यहाँ स्नान करने से भगवद्लोक की प्राप्ति होती है ।
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चक्रतीर्थं तु विख्यातं माथुरे मम मण्डले । <br />
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यस्तत्र कुरूते स्नानं त्रिरात्रोपोषितो नर: ।<br />
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स्नानमात्रेण मनुजो मुख्यते ब्रह्महत्यया ।।<br />
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यहाँ स्नान करने से मनुष्य कोटि–कोटि गोदान का फल प्राप्त करता है । पास ही में गोकर्ण तीर्थ है । प्रसिद्ध गोकर्ण  ने अपने भाई धुंधुकारी को श्रीमद्भागवत की कथा सुनाकर उसका प्रेमयोनि से उद्धार किया था । उन्हीं गोकर्ण की भगवद् आराधना का यह स्थल है ।
 
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०६:१८, ४ दिसम्बर २००९ का अवतरण

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कोटि तीर्थ / Koti Tirth

तत्रैव कोटितीर्थ तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।
तत्र स्नानेन दानेन मम लोके महीयते ।।
यहाँ कोटि–कोटि देववृन्द भगवद् आराधना करने की अभिलाषा करते हैं । इन देवताओं के लिए भी यह दुर्लभ स्थान है । यहाँ स्नान करने से भगवद्लोक की प्राप्ति होती है ।

चक्रतीर्थं तु विख्यातं माथुरे मम मण्डले ।
यस्तत्र कुरूते स्नानं त्रिरात्रोपोषितो नर: ।
स्नानमात्रेण मनुजो मुख्यते ब्रह्महत्यया ।।
यहाँ स्नान करने से मनुष्य कोटि–कोटि गोदान का फल प्राप्त करता है । पास ही में गोकर्ण तीर्थ है । प्रसिद्ध गोकर्ण ने अपने भाई धुंधुकारी को श्रीमद्भागवत की कथा सुनाकर उसका प्रेमयोनि से उद्धार किया था । उन्हीं गोकर्ण की भगवद् आराधना का यह स्थल है ।
साँचा:यमुना के घाट