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*खरोष्टी लिपि गान्धारी लिपि के नाम से जानी जाती है । जो गान्धारी और [[संस्कृत]] भाषा को लिपिवद्ध प्रयोग करने में आती है । इसका प्रयोग तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी तक प्रमुख रूप से एशिया में होता रहा है । [[शक-कुषाण काल|कुषाण काल]] में इसका प्रयोग भारत में बहुतायत में हुआ । [[बौद्ध]] उल्लेखों में खरोष्टी लिपि प्रारम्भ से भी प्रयोग में आयी । कहीं-कहीं सातवी शताब्दी में भी इसका प्रयोग हुआ है। | *खरोष्टी लिपि गान्धारी लिपि के नाम से जानी जाती है । जो गान्धारी और [[संस्कृत]] भाषा को लिपिवद्ध प्रयोग करने में आती है । इसका प्रयोग तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी तक प्रमुख रूप से एशिया में होता रहा है । [[शक-कुषाण काल|कुषाण काल]] में इसका प्रयोग भारत में बहुतायत में हुआ । [[बौद्ध]] उल्लेखों में खरोष्टी लिपि प्रारम्भ से भी प्रयोग में आयी । कहीं-कहीं सातवी शताब्दी में भी इसका प्रयोग हुआ है। | ||
− | *एक प्राचीन भारतीय लिपि जो अरबी लिपि की तरह दांये से बांये को लिखी जाती थी। चौथी-तीसरी शताब्दी | + | *एक प्राचीन भारतीय लिपि जो अरबी लिपि की तरह दांये से बांये को लिखी जाती थी। चौथी-तीसरी शताब्दी ई॰पू0 में भारत के उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांतों में इस लिपि का प्रचलन था। शेष भागों में [[ब्राह्मी लिपि]] का प्रचलन था जो बांये से दांये को लिखी जाती थी। इस लिपि के प्रसार के कारण खरोष्ठी लिपि लुप्त हो गई इस लिपि में लिखे हुए कुछ सिक्के और अशोक के दो शिलालेख प्राप्त हुए हैं। |
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००:१७, २५ जनवरी २०१० का अवतरण
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खरोष्टी लिपि / Kharoshti Script
- खरोष्टी लिपि गान्धारी लिपि के नाम से जानी जाती है । जो गान्धारी और संस्कृत भाषा को लिपिवद्ध प्रयोग करने में आती है । इसका प्रयोग तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी तक प्रमुख रूप से एशिया में होता रहा है । कुषाण काल में इसका प्रयोग भारत में बहुतायत में हुआ । बौद्ध उल्लेखों में खरोष्टी लिपि प्रारम्भ से भी प्रयोग में आयी । कहीं-कहीं सातवी शताब्दी में भी इसका प्रयोग हुआ है।
- एक प्राचीन भारतीय लिपि जो अरबी लिपि की तरह दांये से बांये को लिखी जाती थी। चौथी-तीसरी शताब्दी ई॰पू0 में भारत के उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांतों में इस लिपि का प्रचलन था। शेष भागों में ब्राह्मी लिपि का प्रचलन था जो बांये से दांये को लिखी जाती थी। इस लिपि के प्रसार के कारण खरोष्ठी लिपि लुप्त हो गई इस लिपि में लिखे हुए कुछ सिक्के और अशोक के दो शिलालेख प्राप्त हुए हैं।