ग़ुलाम वंश
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ग़ुलाम वंश / Slave Dynasty
गुलाम वंश मध्यकालीन भारत का एक राजवंश था। इस वंश का पहला शासक कुतुबुद्दीन ऐबक था जिसे मुहम्मद ग़ोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद नियुक्त किया था। 1206 से 1290 ई. के मध्य 'दिल्ली सल्तनत' पर जिन तुर्क शासकों द्वारा शासन किया गया उन्हें 'ग़ुलाम वंश' का शासक माना जाता है। इस काल के दौरान दिल्ली पर शासन करने वाले राजवंश थे-
- कुतुबुद्दीन ऐबक का 'कुत्बी'
- इल्तुतमिश (अल्तमश) का 'शम्सी'
- बलबन का 'बलवनी'
- इन शासकों को 'ग़ुलाम वंश' का शासक कहना इसलिए उचित नहीं है, क्योंकि इन तीनों तुर्क शासकों का जन्म स्वतंत्र माता पिता से हुआ था। इसलिए इन्हें 'प्रारम्भिक तुर्क' शासक व 'मामलूक' शासक कहना अधिक उपयुक्त होगा।
- इतिहासकार अजीज अहमद ने इन शासकों को दिल्ली के 'आरम्भिक तुर्क शासकों' का नाम दिया है।
- 'मामलूक' शब्द का अर्थ होता है- स्वतंत्र माता पिता से उत्पन्न दास।
- 'मामलूक' नाम इतिहासकार हबीबुल्लाह ने दिया है। ऐबक, इल्तुतमिश, एवं बलवन 'इल्बारी तुर्क' थे।
- गुलाम राजवंश ने लगभग 84 वर्षों तक इस उप महाद्वीप पर शासन किया। यह प्रथम 'मुस्लिम राजवंश' था जिसने भारत पर शासन किया।
- कुतुबुद्दीन ऐबक (1206 - 1210) इस वंश का प्रथम शासक था।
- आरामशाह (1210 - 1211)
- इल्तुतमिश (1211 - 1236),
- रूकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह (1236)
- रज़िया सुल्तान (1236 - 1240)
- मुइज़ुद्दीन बहरामशाह (1240 - 1242 )
- अलाउद्दीन मसूद (1242 - 46 ई.)
- नसीरूद्दीन महमूद (1245 - 1265)
- अन्य कई शासकों के बाद उल्लेखनीय रूप से गयासुद्दीन बलबन (1250 - 1290) सुल्तान बने।
इसने दिल्ली की सत्ता पर क़रीब 84 वर्षों तक राज किया तथा भारत में इस्लामी शासन की नींव डाली। इससे पूर्व किसी भी मुस्लिम शासक ने भारत में लंबे समय तक प्रभुत्व कायम नहीं किया था। इसी समय चंगेज खाँ के नेतृत्व में भारत के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र पर मंगोलों का आक्रमण भी हुआ।