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१२:१२, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-22 / Gita Chapter-10 Verse-22
वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासव: ।
इन्द्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना ।।22।।
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मैं <balloon link="index.php?title=वेद " title="वेद हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई ।¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">वेदों</balloon> में सामवेद हूँ, देवों में <balloon link="index.php?title=इन्द्र" title="देवताओं के राजा इन्द्र कहलाते हैं। जिसे वर्षा का देवता माना जाता है ।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">इन्द्र</balloon> हूँ, इन्द्रियों में मन हूँ और भूत प्राणियों की चेतना अर्थात् जीवनी शक्ति हूँ ।।22।।
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Among the Vedas, I am the Samaveda; among the gods, I am Indira. Among the organs of perception etc., I am lthe mind; and I am the consciousness (life-energy) in living beings. (22)
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देवानाम् = देवों में; वासव: इन्द्र; च = और; इन्द्रियाणाम् = इन्द्रियों में; भूतानाम् = भूतप्राणियों में; चेतना = चेतना अर्थात् ज्ञानशक्ति
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