गीता 11:1

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

गीता अध्याय-11 श्लोक-1 / Gita Chapter-11 Verse-1

एकादशोऽध्याय प्रसंग-


इस अध्याय में <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> के प्रार्थना करने पर भगवान् ने उनको अपने विश्व रूप के दर्शन करवाये हैं । अध्याय के अधिकांश में केवल विश्व रूप और उनके स्तवन का ही प्रकरण है, इसलिये इस अध्याय का नाम 'विश्व रूप दर्शन योग' रखा गया है ।

प्रसंग-


ग्यारहवें अध्याय के आरम्भ में पहले चार श्लोकों में भगवान् की और उनके उपदेश की प्रशंसा करते हुए अर्जुन उनसे विश्व रूप का दर्शन कराने के लिय प्रार्थना करते हैं-

अर्जुन उवाच-


मदनुग्रहाय परमं गुह्रामध्यात्मसंज्ञितम् ।
यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ।।1।।



अर्जुन बोले-


मुझ पर अनुग्रह करने के लिये आपने जो परम गोपनीय अध्यात्मविषयक वचन अर्थात् उपदेश कहा, उससे मेरा यह अज्ञान नष्ट हो गया है ।।1।।

Arjuna said:


Thanks to the most profound words of spiritual wisdom that you have spoken out of kindness to me, this delusion of mine has entirely disappeared. (1)


मदनुग्रहाय = मेरे पर अनुग्रह करने के लिये; परमम् = परम; गुह्राम् = गोपनीय; अध्यात्मसंज्ञितम् = अध्यात्मविषयक; वच: वचन अर्थात् उपदेश; त्वया = आपके द्वारा; यत् = जो; उक्तम् = कहा गया; तेन = उससे; अयम् = यह; मोह: = अज्ञान; विगत: = नष्ट हो गया है;



अध्याय ग्यारह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-11

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10, 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26, 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41, 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar>