"गीता 11:5" के अवतरणों में अंतर
छो (Text replace - '<td> {{गीता अध्याय}} </td>' to '<td> {{गीता अध्याय}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>') |
छो (Text replace - 'हजार' to 'हज़ार') |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति २७: | पंक्ति २७: | ||
'''श्रीभगवान् बोले –''' | '''श्रीभगवान् बोले –''' | ||
---- | ---- | ||
− | हे <balloon title="पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।" style="color:green">पार्थ</balloon> ! अब तू मेरे | + | हे <balloon title="पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।" style="color:green">पार्थ</balloon> ! अब तू मेरे सैकड़ों–हज़ारों नाना प्रकार के और नाना वर्ण तथा नाना आकृति वाले अलौकिक रूपों को देख ।।5।। |
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
पंक्ति ३९: | पंक्ति ३९: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
− | शतश: = सैकड़ों; अथ = तथा; सहस्त्रश: = | + | शतश: = सैकड़ों; अथ = तथा; सहस्त्रश: = हज़ारों; नानाविधानि = नाना प्रकारके; नानावर्णाकृतीनि = नानावर्ण तथा आकृतिवाले; दिव्यानि = अलौकिकश; रूपाणि = रूपोंको; पश्य = देख |
|- | |- | ||
|} | |} | ||
पंक्ति ६३: | पंक्ति ६३: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
− | {{ | + | {{गीता2}} |
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
− | {{ | + | {{महाभारत}} |
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> |
०७:१८, ११ मई २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-5 / Gita Chapter-11 Verse-5
|
||||||||
|
||||||||
|
||||||||
<sidebar>
__NORICHEDITOR__
</sidebar> |
||||||||
|
||||||||