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०७:३८, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-6 / Gita Chapter-11 Verse-6
पश्यादित्यान्वसून्रूद्रानश्विनौ मरूतस्तथा ।
बहून्यदृष्टपूर्वाणि पश्याश्चर्याणि भारत ।।6।।
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हे भरतवंशी अर्जुन ! मुझमें आदित्यों को अर्थात् अदिति के द्वादश पुत्रों को, आठ वसुओं को, एकादश रूद्रों को, दोनों अश्विनी कुमारों को और उनचास मरूद्गणों को देख तथा और भी बहुत-से पहले न देखे हुए आश्चर्यमय रूपों को देख ।।6।।
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Behold in Me, arjuna, the twelve sons of aditi, the eight vasus, the eleven rudras (gods of destruction), the two asvinikumaras (the twin-born physicians of gods) and the fortynine maruts(winds-gods), and witness many more wonderful forms never seen before. (6)
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भारत = हे भरतवंशी अर्जुन(मेरे में); आदित्यान् = आदित्यों को अर्थात् अदिति के द्वादश पुत्रों को(और); वसून = आठ वसुओंको; रूद्रान् = एकादश रूद्रोंको(तथा); अश्विनौ =दोनों अश्विनीकुमारों को(और); मरूत: = उन्चास मरूगउणोंको; पश्य = देख; बहूनि = बहुतसे; अदृष्टपूर्वाणि = पहिले न देखे हुए; आश्र्वर्याणि = आश्र्वर्यमय रूपोंको
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