"गीता 12:11" के अवतरणों में अंतर

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If, taking recourse to the yoga of my realization, you are unable even to do this, then, subduing your mind and intellect etc., relinquish the fruit of all actions. (11)
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If, however, you are unable to work in this consciousness, then try to act giving up all results of your work and try to be self-situated. (11)
 
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१३:१६, २२ नवम्बर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-12 श्लोक-11 / Gita Chapter-12 Verse-11

प्रसंग-


यहाँ अर्जुन को जिज्ञासा हो सकती है कि यदि उपर्युक्त प्रकार से आपके लिये मैं कर्म भी न कर सकूँ तो मुझे क्या करना चाहिये । इस पर कहते हैं


अथैतदप्यशक्तोऽसि कर्तुं मद्योगमाश्रित: ।
सर्वकर्मफलत्यागं तत: कुरू यतात्मवान् ।।11।।



यदि मेरी प्राप्ति रूप योग के आश्रित होकर उपर्युक्त साधन को करने में भी तू असमर्थ है तो मन-बुद्धि आदि पर विजय प्राप्त करने वाला होकर सब कर्मों के फल का त्याग कर ।।11।।

If, however, you are unable to work in this consciousness, then try to act giving up all results of your work and try to be self-situated. (11)


अथ = यदि; एतत् = इसको; कर्तुम् = करने के लिये; अशक्त: =असमर्थ; असि = है; तत: = तो; यतात्मवान् = जीते हुए मनवाला(और); मद्योगम् = मेरी प्राप्तिरूप योग के; आश्रित: = शरण हुआ; सर्वकर्मफलत्यागम् = सब कर्मों के फलका मेरे लिये त्याग; कुरू = कर



अध्याय बारह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-12

1 | 2 | 3,4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13, 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20

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