"गीता 13:1" के अवतरणों में अंतर
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− | ==गीता अध्याय- | + | ==गीता अध्याय-13 श्लोक-1 / Gita Chapter-13 Verse-1== |
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+ | '''त्रयोदशोऽध्याय प्रसंग-''' | ||
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+ | 'क्षेत्र' (शरीर) और 'क्षेत्रज्ञ' (आत्मा) परस्पर अत्यन्त विलक्षण है । केवल अज्ञान से ही इन दोनों की एकता –सी हो रही है । क्षेत्र जड़, विकारी, क्षणिक और नाशवान् है; एवं क्षेत्रज्ञ चेतन, ज्ञान स्वरूप निर्विकार, नित्य और अविनाशी है । इस अध्याय में 'क्षेत्र' और 'क्षेत्रज्ञ' दोनों के स्वरूप का उपर्युक्त प्रकार से विभाग किया गया है । इसलिये इसका नाम 'क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग' रखा गया है । | ||
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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− | + | निर्गुण–निराकार का तत्व अर्थात् ज्ञान योग का विषय भलीभाँति समझाने के लिये तेरहवें अध्याय का आरम्भ किया जाता है । इसमें पहले भगवान् क्षेत्र (शरीर) तथा क्षेत्रज्ञ (आत्मा) क लक्षण बतलाते हैं- | |
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+ | '''श्रीभगवानुवाच:''' | ||
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<div align="center"> | <div align="center"> | ||
− | ''' | + | '''इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते ।'''<br /> |
+ | '''एतद्यो वेत्ति तं प्राहु: क्षेत्रज्ञ इति तद्विद्व: ।।1।।''' | ||
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− | ''' | + | '''श्रीभगवान् बोले:''' |
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− | + | हे [[अर्जुन]] ! यह शरीर 'क्षेत्र' इस नाम से कहा जाता है; और इसको जो जानता है, उसको 'क्षेत्रज्ञ' इस नाम से उनके तत्व को जानने वाले ज्ञानीजन कहते हैं ।।1।। | |
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
− | ''' | + | '''Sri Bhagavan said:''' |
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− | + | This body, arjuna, is termed as the field (Ksetra); and him who knows it, the sages discerning the truthabout both refer to as the knower of the field (Ksetrajna). (1) | |
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− | + | कौन्तेय = हे अर्जुन; इदम् = यह शरीरम् = शरीर; इति =ऐसे; अभिधीयते = कहा जाता है; एतत् =इसको; य: =जो; वेत्ति = जानता है; तम् = उसको; तद्विद: = उनके तत्व को जानने वाले ज्ञानीजन; प्राहु: = कहते हैं | |
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पंक्ति ४२: | पंक्ति ४९: | ||
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<br /> | <br /> | ||
− | <div align="center" style="font-size:120%;">'''<= पीछे Prev | आगे Next =>'''</div> | + | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 11:55|<= पीछे Prev]] | [[गीता 12:2|आगे Next =>]]'''</div> |
<br /> | <br /> | ||
{{गीता अध्याय 13}} | {{गीता अध्याय 13}} |
११:३०, १२ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-13 श्लोक-1 / Gita Chapter-13 Verse-1
|
अध्याय तेरह श्लोक संख्या Verses- Chapter-13 |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 |
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