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गीता अध्याय-14 श्लोक-15 / Gita Chapter-14 Verse-15
रजसि प्रलयं गत्वा कर्मसग्ङिषु जायते ।
तथा प्रलीनस्तमसि मूढयोनिषु जायते ।।15।।
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रजोगुण के बढ़ने पर मृत्यु को प्राप्त होकर कर्मों की आसक्ति वाले मनुष्यों में उत्पन्न होता; तथा तमोगुण के बढ़ने पर मरा हुआ मनुष्य कीट, पशु आदि मूढयोनियों में उत्पन्न होता है ।।15।।
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Dying when Rajas predominates, he is born among those attached to action; even so the man who has expired during the preponderance of Tamas is reborn in the species of stupid creatures, such as insects, and beasts etc.(15)
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राजसि = रजोगुणके बढनेपर ; प्रलयम् = मृत्यु को ; गत्वा = प्राप्त होकर ; कर्मसग्डिषु = कर्मों की आसक्तिवाले मनुष्यों में ; जायते = उत्पन्न होता है ; तथा = तथा ; तभसि = तमोगुणके बढने पर ; प्रलीन: = मरा हुआ पुरुष (कीट पशु आदि) ; भूढयोनिषु = भूढयोनियों में ; जायते = उत्पन्न होता है;
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