"गीता 1:11" के अवतरणों में अंतर
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− | ==गीता अध्याय- | + | ==गीता अध्याय-1 श्लोक-11 / Gita Chapter-1 Verse-11== |
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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− | + | दुर्योधन के द्वारा अपने पक्ष के महारथियों की विशेष रूप से पितामह भीष्म की प्रशंसा किये जाने का वर्णन सुनाकर अब संजय उसके बाद की घटनाओं का वर्णन करते हैं- | |
− | + | '''अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिता: ।''' | |
+ | '''भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्त: सर्व एव हि ।।11।।''' | ||
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− | + | ||
− | - | + | इसलिये सब मोर्चों पर अपनी-अपनी जगह स्थित रहते हुए आप लोग सभी नि:सन्देह भीष्म पितामह की ही सब ओर से रक्षा करें ।।11।। |
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− | + | ||
− | + | Therefore, stationed in your respective positions of all fronts, you all guard bhisma in particular on all sides. | |
− | |||
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− | + | सर्वेषु = सब; अयनेषु = मोर्चों पर; यथाभागम् = अपनी अपनी जगह; अविस्थता: = स्थित रहते हुए; भवन्त: = आपलोग; सर्वें = सबके सब; एव = ही; हि = नि:सन्देह; भीष्मम् = भीष्म पितामह की; एव = ही;अभिरक्षन्तु = सब ओर से रक्षा करें; | |
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१०:१५, ७ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-11 / Gita Chapter-1 Verse-11
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अध्याय एक श्लोक संख्या Verses- Chapter-1 |
1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 |
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