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०७:४७, २७ दिसम्बर २०११ के समय का अवतरण

गीता अध्याय-1 श्लोक-16 / Gita Chapter-1 Verse-16

अनन्तविजयं राजा कुन्ती पुत्रो युधिष्ठिर: ।
नकुल: सहदेवश्च सुघोषमणिपुष्पकौ ।।16।।



<balloon link="index.php?title=कुन्ती" title="ये वसुदेवजी की बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ थीं । महाभारत में महाराज पाण्डु की पत्नी । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> कुन्ती</balloon> पुत्र राजा <balloon link="index.php?title=युधिष्ठिर" title="युधिष्ठिर महाभारत में पांच पाण्डवों में बड़े भाई थे। महाभारत के नायकों में समुज्ज्वल चरित्र वाले ज्येष्ठ पाण्डव थे। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> युधिष्ठिर</balloon> ने अनन्त विजय नामक और <balloon link="index.php?title=नकुल" title="नकुल कुन्ती के नहीं अपितु माद्री के पुत्र थे । नकुल कुशल अश्वारोही था । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> नकुल</balloon> तथा <balloon link="index.php?title=सहदेव" title="राजा पांडु के पाँच पुत्रों में से सबसे छोटे पुत्र का नाम । यह सबसे सुन्दर और सुकुमार था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> सहदेव</balloon> ने सुघोष और मणिपुष्पक नामक शंख बजाये ।।16।।

King Yudhisthira, son of Kunti, blew his conch Anantavijaya; while Nakula and Sahadeva blew theirs, known as Sughosa and Manipuspaka respectively.


अनन्तविजयम् = अनन्तविजय नामक शंख (और); सुघोषमणिपुष्पकौ = सुघोष और मणिपुष्पक नाम वाले शंख (बजाये);



अध्याय एक श्लोक संख्या
Verses- Chapter-1

1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47

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