"गीता 1:19" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - '<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>' to '<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>')
 
(४ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ११ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{menu}}<br />
+
{{menu}}
 
<table class="gita" width="100%" align="left">
 
<table class="gita" width="100%" align="left">
 
<tr>
 
<tr>
पंक्ति ९: पंक्ति ९:
 
'''प्रसंग-'''
 
'''प्रसंग-'''
 
----
 
----
[[पांडव|पाण्डवों]] की शंखध्वनि से [[कौरव]] वीरों के व्यथित होने का वर्णन करके, अब चार श्लोकों में भगवान् [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] के प्रति कहे हुए [[अर्जुन]] के उत्साहपूर्ण वचनों का वर्णन किया जाता है-
+
<balloon link="index.php?title=पांडव" title="पांडव कुन्ती के पुत्र थे। इनके नाम युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
पाण्डवों</balloon> की शंखध्वनि से <balloon link="index.php?title=कौरव" title="गान्धारी के सौ पुत्र कौरव कहलाते है । दुर्योधन इन सबमें सबसे बड़ा था ।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
कौरव</balloon> वीरों के व्यथित होने का वर्णन करके, अब चार श्लोकों में भगवान् <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
श्रीकृष्ण</balloon> के प्रति कहे हुए <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
अर्जुन</balloon> के उत्साहपूर्ण वचनों का वर्णन किया जाता है-
 
----
 
----
 
<div align="center">
 
<div align="center">
पंक्ति २२: पंक्ति ३०:
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
  
और उस भयानक शब्द ने आकाश और पृथ्वी को भी गुँजाते हुए धार्तराष्द्रों के यानी आपके पक्ष वालों के ह्रदय विदीर्ण कर दिये ।।19।।
+
और उस भयानक शब्द ने आकाश और [[पृथ्वी]] को भी गुँजाते हुए <balloon link="index.php?title=धृतराष्ट्र" title="धृतराष्ट्र पाण्डु के बड़े भाई थे । गाँधारी इनकी पत्नी थी और कौरव इनके पुत्र । पाण्डु के बाद हस्तिनापुर के राजा बने ।
 +
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">
 +
धृतराष्ट्र</balloon> के यानी आपके पक्ष वालों के ह्रदय विदीर्ण कर दिये ।।19।।
  
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
And the terrible sound, echoing through heaven and earth, rent the hearts of dhritarastra’s sons. (19)
+
The blowing of these different conchshells became uproarious, and thus, vibrating both in the sky and on the earth, it shattered the hearts of the sons of Dhrtarastra.(19)
 
|-
 
|-
 
|}
 
|}
पंक्ति ३७: पंक्ति ४७:
 
</td>
 
</td>
 
</tr>
 
</tr>
</table>
+
<tr>
 +
<td>
 
<br />
 
<br />
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 1:17-18|<= पीछे Prev]] | [[गीता 1:20-21|आगे Next =>]]'''</div>
+
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 1:17-18|<= पीछे Prev]] | [[गीता 1:20-21|आगे Next =>]]'''</div>  
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 
<br />
 
<br />
 
{{गीता अध्याय 1}}
 
{{गीता अध्याय 1}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 
{{गीता अध्याय}}
 
{{गीता अध्याय}}
[[category:गीता]]
+
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{गीता2}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{महाभारत}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
</table>
 +
[[Category:गीता]]
 +
__INDEX__

१२:३२, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण

गीता अध्याय-1 श्लोक-19 / Gita Chapter-1 Verse-19

प्रसंग-


<balloon link="index.php?title=पांडव" title="पांडव कुन्ती के पुत्र थे। इनके नाम युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> पाण्डवों</balloon> की शंखध्वनि से <balloon link="index.php?title=कौरव" title="गान्धारी के सौ पुत्र कौरव कहलाते है । दुर्योधन इन सबमें सबसे बड़ा था । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> कौरव</balloon> वीरों के व्यथित होने का वर्णन करके, अब चार श्लोकों में भगवान् <balloon link="index.php?title=कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> श्रीकृष्ण</balloon> के प्रति कहे हुए <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> अर्जुन</balloon> के उत्साहपूर्ण वचनों का वर्णन किया जाता है-


स घोषो धार्तराष्ट्राणां ह्रदयानि व्यदारयत् ।
नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन् ।।19।।


और उस भयानक शब्द ने आकाश और पृथ्वी को भी गुँजाते हुए <balloon link="index.php?title=धृतराष्ट्र" title="धृतराष्ट्र पाण्डु के बड़े भाई थे । गाँधारी इनकी पत्नी थी और कौरव इनके पुत्र । पाण्डु के बाद हस्तिनापुर के राजा बने । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> धृतराष्ट्र</balloon> के यानी आपके पक्ष वालों के ह्रदय विदीर्ण कर दिये ।।19।।

The blowing of these different conchshells became uproarious, and thus, vibrating both in the sky and on the earth, it shattered the hearts of the sons of Dhrtarastra.(19)


स: = उस; तुमुल: =भयानक; घोष: = शब्द ने; नभ: = आकाश; पृथिवीम् = पृथिवी को; एव = भी; व्यनुनादयन् = शब्दायमान करते हुए; धार्तराष्ट्रणाम् = धृतराष्ट्र पुत्रों के; हृदयानि = हृदय; व्यदारयत् = विदीर्ण कर दिये;



अध्याय एक श्लोक संख्या
Verses- Chapter-1

1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar>