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+ | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
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+ | ==गीता अध्याय-1 श्लोक-2 / Gita Chapter-1 Verse-2== | ||
+ | {| width="80%" align="center" style="text-align:center; font-size:130%;padding:5px;background:none;" | ||
+ | |- | ||
+ | | valign="top" | | ||
+ | '''प्रसंग-''' | ||
+ | ---- | ||
+ | <balloon link="index.php?title=धृतराष्ट्र" title="धृतराष्ट्र पाण्डु के बड़े भाई थे । गाँधारी इनकी पत्नी थी और कौरव इनके पुत्र । पाण्डु के बाद हस्तिनापुर के राजा बने । | ||
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">धृतराष्ट्र</balloon> के पूछने पर <balloon link="index.php?title=संजय" title="संजय को दिव्य दृष्टि का वरदान था । जिससे महाभारत युद्ध में होने वाली घटनाओं का आँखों देखा हाल बताने में संजय, सक्षम था । श्रीमद् भागवत् गीता का उपदेश जो कृष्ण ने अर्जुन को दिया, वह भी संजय द्वारा ही सुनाया गया । | ||
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">संजय</balloon> कहते है- | ||
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+ | <div align="center"> | ||
+ | '''दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा । '''<br /> | ||
+ | '''आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत् ।।2:1।।''' | ||
+ | </div> | ||
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+ | <br /> | ||
+ | {| style="background:none;" width="100%" cellspacing="30" | ||
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+ | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
+ | '''संजय बोले-''' | ||
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+ | उस समय राजा <balloon link="index.php?title=दुर्योधन" title="धृतराष्ट्र-गांधारी के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन था। दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था और श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का शिष्य था। | ||
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">दुर्योधन</balloon> ने व्यूह रचनायुक्त <balloon link="index.php?title=पांडव" title="पांडव कुन्ती के पुत्र थे। इनके नाम युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे। | ||
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">पांडवो</balloon> की सेना को देखकर और <balloon link="index.php?title=द्रोणाचार्य" title="द्रोणाचार्य कौरव और पांडवो के गुरु थे । कौरवों और पांडवों ने द्रोणाचार्य के आश्रम मे ही अस्त्रों और शस्त्रों की शिक्षा पायी थी । अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे । | ||
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">द्रोणाचार्य</balloon> के पास जाकर यह वचन कहा ।।2।। | ||
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+ | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
+ | '''Sanjaya said:''' | ||
+ | ---- | ||
+ | O King, after looking over the army gathered by the sons of Pandu, King Duryodhana went to his teacher and began to speak the following words: (2) | ||
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+ | <br /> | ||
+ | {| style="background:none;" width="100%" | ||
+ | |- | ||
+ | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
+ | तदा = उस समय; दुर्योंधन: = दुर्योधन ने; व्यूढम् = व्यूहरचनायुक्त; पाण्डवानीकम् = पाण्डवों की सेना को; दृष्टा = देखकर; तु = और; आचार्यम् = द्रोणाचार्य के; उपसंगम्य = पास जाकर (यह); अब्रवीत् = कहा; | ||
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+ | </tr> | ||
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+ | <br /> | ||
+ | <div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 1:1|<= पीछे Prev]] | [[गीता 1:3|आगे Next =>]]'''</div> | ||
+ | </td> | ||
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+ | <br /> | ||
+ | {{गीता अध्याय 1}} | ||
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+ | {{गीता अध्याय}} | ||
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+ | [[Category:गीता]] | ||
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१२:३२, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-2 / Gita Chapter-1 Verse-2
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