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०४:२६, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-43 / Gita Chapter-1 Verse-43
प्रसंग-
'कुल-धर्म, और 'जाति-धर्म' के नाश से क्या हानि है; अब इस पर कहते हैं-
दोषैरेतै: कुलघ्नानां वर्णसंकरकारकै:।
उत्साद्यन्ते जातिधर्मा: कुलधर्माश्च शाश्वता: ।।43।।
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इन वर्णसंकरकरकारक दोषों से कुलघातियों के सनातन कुल-धर्म और जाति-धर्म नष्ट हो जाते हैं ।।43।।
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Through these evils bringing about an intermixture of castes, the age-long caste-traditions and family customs of the killers of kinsmen get extinct.( 43)
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एतै: = इन; वर्णसंकरकारकै: = वर्णसंकरकारक; दोषै: =दोषों से; कुलध्रानाम् = कुल घातियों के; शाश्वता: = सनातन; च = और; जातिधर्मा: = जातिधर्म; उत्साद्यन्ते = नष्ट हो जाते हैं
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