"गीता 1:43" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
(नया पृष्ठ: {{subst: गीता }})
 
पंक्ति ३: पंक्ति ३:
 
<tr>
 
<tr>
 
<td>
 
<td>
==गीता अध्याय-X श्लोक-X / Gita Chapter-X Verse-X==  
+
==गीता अध्याय-1 श्लोक-43 / Gita Chapter-1 Verse-43==  
 
{| width="80%" align="center" style="text-align:justify; font-size:130%;padding:5px;background:none;"
 
{| width="80%" align="center" style="text-align:justify; font-size:130%;padding:5px;background:none;"
 
|-
 
|-
पंक्ति ९: पंक्ति ९:
 
'''प्रसंग-'''
 
'''प्रसंग-'''
 
----
 
----
हिन्दी टॅक्स्ट
+
'कुल-धर्म, और 'जाति-धर्म' के नाश से क्या हानि है; अब इस पर कहते हैं-
 
----
 
----
 
<div align="center">
 
<div align="center">
'''श्लोक'''
+
'''दोषैरेतै: कुलघ्नानां वर्णसंकरकारकै:।'''<br />
 +
'''उत्साद्यन्ते जातिधर्मा: कुलधर्माश्च शाश्वता: ।।43।।'''
 
</div>
 
</div>
 
----
 
----
पंक्ति २१: पंक्ति २२:
 
|-
 
|-
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
'''शीर्षक'''
+
इन वर्णसंकरकरकारक दोषों से कुलघातियों के सनातन कुल-धर्म और जाति-धर्म नष्ट हो जाते हैं ।।43।।
----
 
हिन्दी टॅक्स्ट
 
  
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
'''Heading'''
+
Through these evils bringing about an  intermixture of castes, the age-long caste-traditions and family customs of the killers of kinsmen get extinct.( 43)
----
 
English text.
 
 
|-
 
|-
 
|}
 
|}
पंक्ति ३५: पंक्ति ३२:
 
|-
 
|-
 
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" |
 
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" |
यहाँ संस्कृत शब्दों के अर्थ डालें
+
एतै: = इन; वर्णसंकरकारकै: = वर्णसंकरकारक; दोषै: =दोषों से; कुलध्रानाम् = कुल घातियों के; शाश्वता: = सनातन; च = और; जातिधर्मा: = जातिधर्म; उत्साद्यन्ते = नष्ट हो जाते हैं
 
|-
 
|-
 
|}
 
|}
पंक्ति ४२: पंक्ति ३९:
 
</table>
 
</table>
 
<br />
 
<br />
<div align="center" style="font-size:120%;">'''<= पीछे Prev | आगे Next =>'''</div>   
+
<div align="center" style="font-size:120%;">'''[[गीता 1:42|<= पीछे Prev]] | [[गीता 1:44|आगे Next =>]]'''</div>   
 
<br />
 
<br />
 
{{गीता अध्याय 1}}
 
{{गीता अध्याय 1}}
 
{{गीता अध्याय}}
 
{{गीता अध्याय}}
 +
[[category:गीता]]

०९:३०, ८ अक्टूबर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-1 श्लोक-43 / Gita Chapter-1 Verse-43

प्रसंग-


'कुल-धर्म, और 'जाति-धर्म' के नाश से क्या हानि है; अब इस पर कहते हैं-


दोषैरेतै: कुलघ्नानां वर्णसंकरकारकै:।
उत्साद्यन्ते जातिधर्मा: कुलधर्माश्च शाश्वता: ।।43।।



इन वर्णसंकरकरकारक दोषों से कुलघातियों के सनातन कुल-धर्म और जाति-धर्म नष्ट हो जाते हैं ।।43।।

Through these evils bringing about an intermixture of castes, the age-long caste-traditions and family customs of the killers of kinsmen get extinct.( 43)


एतै: = इन; वर्णसंकरकारकै: = वर्णसंकरकारक; दोषै: =दोषों से; कुलध्रानाम् = कुल घातियों के; शाश्वता: = सनातन; च = और; जातिधर्मा: = जातिधर्म; उत्साद्यन्ते = नष्ट हो जाते हैं


<= पीछे Prev | आगे Next =>


अध्याय एक श्लोक संख्या
Verses- Chapter-1

1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar>