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१२:३३, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-33 / Gita Chapter-2 Verse-33
अथ चेत्त्वमिमं धर्म्यं संग्रामं न करिष्यसि ।
तत: स्वधर्मं कीर्तिं च हित्वा पापमवाप्स्यसि ।।33।।
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किंतु यदि तू इस धर्म युक्त युद्ध को नहीं करेगा तो स्वधर्म और कीर्ति को खोकर पाप को प्राप्त होगा ।।33।।
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Now, if you refuse to fight this righteous war; then, shirking your duty and losing your reputation, you will incur sin.(33)
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अथ = और ; चेत् = यदि ; त्वम् = तूं ; इमम् = इस ; धर्म्यम् = धर्मयुक्त ; संग्रामम् = संग्रामको ; न = नहीं ; करिष्यसि = करेगा ; तत: = तो ; स्वधर्मम् = स्वधर्मको ; च = और ; कीर्तिम् = कीर्तिको ; हित्वा = खोकर ; पापम् = पापको ; अवप्स्यसि = प्राप्त होगा ;
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