"गीता 2:46" के अवतरणों में अंतर
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− | सब ओर से परिपूर्ण जलाशय के प्राप्त हो जाने पर छोटे जलाशय में मनुष्य का जितना प्रयोजन रहता है, [[ | + | सब ओर से परिपूर्ण जलाशय के प्राप्त हो जाने पर छोटे जलाशय में मनुष्य का जितना प्रयोजन रहता है, [[ब्रह्मा]] को तत्व से जानने वाले ब्राह्राण का समस्त वेदों में उतना ही प्रयोजन रह जाता है ।।46।। |
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०८:००, ८ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-46 / Gita Chapter-2 Verse-46
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अध्याय दो श्लोक संख्या Verses- Chapter-2 |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 , 43, 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 |
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