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०५:१८, २४ अक्टूबर २००९ का अवतरण
गीता अध्याय-3 श्लोक-25 / Gita Chapter-3 Verse-25
सक्ता: कर्मण्यविद्वांसो यथा कुर्वन्ति भारत ।
कुर्याद्विद्वांस्तथासक्तश्चिकीर्षुर्लोकसंग्रहम् ।।25।।
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हे भारत ! कर्म में आसक्त हुए अज्ञानीजन जिस प्रकार कर्म करते हैं, आसक्ति रहित विद्वान् भी लोक संग्रह करना चाहता हुआ उसी प्रकार कर्म करे ।।25।।
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arjuna, as the unwise act with attachment, so should the wise man, seeking maintenance of the world order, act without attachment. (25)
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भारत = है भारत ; कर्मणि = कर्ममें ; सक्ता: = आसक्त हुए ; अविद्वांस: = अज्ञानीजन ; यथा = जैसे ; कुर्वन्ति = कर्म करते हैं ; तथा = वैसे ही ; असक्त: = अनासक्त हुआ ; विद्वान् = विद्वान् (भी) ; लोकसंग्रहम् = लोकशिक्षाको ; चिकीर्षु: = चाहता हुआ ; कुर्यात् = कर्म करे ;
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