"गीता 4:19" के अवतरणों में अंतर
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− | जिसके सम्पूर्ण शास्त्रसम्मत कर्म बिना कामना और संकल्प के होते हैं तथा जिसके समस्त कर्म ज्ञानरूप अग्नि के द्वारा भस्म हो गये हैं, उस | + | जिसके सम्पूर्ण शास्त्रसम्मत कर्म बिना कामना और संकल्प के होते हैं तथा जिसके समस्त कर्म ज्ञानरूप अग्नि के द्वारा भस्म हो गये हैं, उस महापुरुष को ज्ञानीजन भी पण्डित कहते हैं ।।19।। |
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− | यस्य = जिसके; सर्वे = सपूर्ण; समारम्भा: = कार्य; कामसंकल्पवर्जिता: = कामना और संकल्प से रहित हैं (ऐसे); तम् = उस; ज्ञानाग्निदग्धकर्माणम् = ज्ञानरूप अग्निद्वारा भस्म हुए कर्मों वाले | + | यस्य = जिसके; सर्वे = सपूर्ण; समारम्भा: = कार्य; कामसंकल्पवर्जिता: = कामना और संकल्प से रहित हैं (ऐसे); तम् = उस; ज्ञानाग्निदग्धकर्माणम् = ज्ञानरूप अग्निद्वारा भस्म हुए कर्मों वाले पुरुष को; बुधा: = ज्ञानीजन (भी); पण्डितम् = पण्डित; आहु: = कहते हैं |
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१२:३६, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-4 श्लोक-19 / Gita Chapter-4 Verse-19
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