"गीता 4:5" के अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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− | भगवान् के मुख से यह बात सुनकर कि अब तक मेरे बहुत | + | भगवान् के मुख से यह बात सुनकर कि अब तक मेरे बहुत से जन्म हो चुके हैं, यह जानने की इच्छा होती है कि आपका जन्म किस प्रकार होता है और आपके जन्म में तथा अन्य लोगों के जन्म में क्या भेद है? अतएव इस बात को समझाने के लिये भगवान् अपने जन्म का तत्व बतलाते हैं- |
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'''श्रीभगवान् बोले-''' | '''श्रीभगवान् बोले-''' | ||
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− | हे परन्तप | + | हे परन्तप <balloon link="index.php?title=अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। |
+ | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! मेरे और तेरे बहुत-से जन्म हो चुके हैं । उन सबको तू नहीं जानता, किंतु मैं जानता हूँ ।।5।। | ||
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'''Sri Bhagavan said:''' | '''Sri Bhagavan said:''' | ||
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− | + | Arjuna, you and I have passed through many births, I remember them all; you do not remember, O chastiser of foes.(5) | |
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१२:३७, २१ मार्च २०१० के समय का अवतरण
गीता अध्याय-4 श्लोक-5 / Gita Chapter-4 Verse-5
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